इस्लाम हलाल को स्वीकार करता है, अर्थात किसी भी हष्टपुष्ट जानवर के वध के बाद उसके रक्त रहित मांस को खाने की अनुमति है। इस चोचले के नाम से एक प्रमाणन प्रक्रिया इस्लामी देशों में अनिवार्यता के साथ प्रारंभ की गई, जिसका नाम ‘हलाल’ प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) है। प्रारंभ में ‘हलाल’ प्रमाणन में मांस को ही सम्मिलित किया गया था परंतु, कालावधि में इसे औषधि, सौंदर्य प्रसाधन, होटल, गृहनिर्माण क्षेत्रों में लागू कर दिया गया है। इसे देखते हुए अब आशंका उत्पन्न हो रही है कि, जिस इस्लामी अर्थव्यवस्था को लागू करने का स्वप्न प्रतिबंधित पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया देख रही थी, उसकी पूर्ति का हिस्सा हलाल परिषद तो नहीं है?
हलाल प्रमाणन निजी क्षेत्र की कुछ एजेंसियों के हाथ है। जिसके लिए सालाना मोटी फीस हलाल प्रमाणन प्राप्त करनेवालों को देनी पड़ती है। केंद्र सरकार ने पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया की आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता पर लगाम लगाने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन हलाल का प्रमाणन अपने आप में एक समानांतर इस्लामी अर्थव्यवस्था को लागू का षड्ंयत्र हो तो इससे इन्कार भी नहीं किया जा सकता है। इसका कारण है कि, हलाल प्रमाणनवाली देनेवाली एजेंसियां अब भारत में मुसलमानों को बिना इस प्रमाणन के सामानों की खरीद से रोकने का प्रचार कर रही हैं। अब तक यह अरब देशों के निर्यातकों पर ही लागू था।
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इस्लामी प्रचार
मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। यहां आगामी 12 और 13 नवंबर 2022 को इस्लाम जिमखाना में हलाल परिषद आयोजित किया जाना है। इसे ब्लॉसम मीडिया नामक एजेंसी आयोजित कर रही है। इस एजेंसी के पास हलाल प्रमाणित उत्पादों के प्रचार प्रसार का कार्य है।