हल्दी नहीं रही कृषि उपज… यह कारण जानकर हैरान हो जाएंगे

हल्दी भारतीय घरों में उपयोग की जानेवाली अतिआवश्यक कृषि उपज है। जो भोजन से लेकर प्रत्येक अवसर पर शुभ और उत्तम स्वास्थ्य की दायिनी मानी जाती है।

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दाल, विवाह और घाव निवारक के रूप में बहुपयोगी हल्दी को अब सरकारी महंगाई मार गई है। दुकानों में बिकनेवाली हल्दी को जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (जीएसटी एएआर) की महाराष्ट्र बेंच ने कृषि उपज मानने से इनकार कर दिया है। बेंच ने बाजार में बिकने वाली हल्दी को प्रोसेस्ड प्रोडक्ट (प्रसंस्कृति) माना है। इस आधार पर बाजार में बिकने वाली हल्दी पर तैयार मसाले की श्रेणी के हिसाब से 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी की वसूली की जाएगी।

इसलिए प्रसंस्कृत है हल्दी
जीएसटी एएआर की महाराष्ट्र बेंच के पास एक कमीशन एजेंट ने आवेदन करके जानना चाहा था कि बाजार में बिकने वाली हल्दी पर अन्य कृषि उत्पादों की तरह जीएसटी में छूट मिलेगी या नहीं। इस आवेदन पर विचार करने के बाद बेंच ने साफ किया कि बाजार में हल्दी को बेचने के पहले किसान उसकी प्रोसेसिंग करते हैं। इसके तहत जमीन से निकालने के बाद उसे पहले उबाला जाता है। फिर उबली हल्दी को सुखाने के बाद उसे पॉलिश करके बाजार में बेचा जाता है। इस तरह से हल्दी अपने मूल रूप में बाजार में नहीं बेची जाती है, बल्कि उसे प्रोसेस्ड प्रोडक्ट के रूप में पूरी तरह से तैयार करने के बाद बाजार में बेचा जाता है।

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ज्ञातव्य है कि जून 2017 के जीएसटी नोटिफिकेशन के मुताबिक खेत में उपजाई जाने वाली प्रत्येक उपज को कृषि उत्पाद माना गया है। इन कृषि उत्पादों को जीएसटी में छूट भी दी गई है। लेकिन इस नोटिफिकेशन में ये भी साफ किया गया है कि, किसी भी फसल को जीएसटी से छूटवाली श्रेणी का कृषि उत्पाद तभी माना जाएगा, जब उसे उसके मूल रूप में ही बाजार में बेचा जाए।

इस नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि उत्पाद के मूल रूप में बदलाव करने या उसे प्रोसेस करने के बाद अगर बाजार में बेचा जाता है, तो उसे कृषि उत्पाद नहीं माना जाएगा। ऐसी स्थिति में वो फसल या उत्पाद जीएसटी की जिस श्रेणी में आएगी, उस श्रेणी के मुताबिक उस पर जीएसटी की दर से कर की वसूली की जाएगी। जीएसटी की महाराष्ट्र बेंच ने अपने फैसले में साफ किया है कि हल्दी प्रोसेस होने के बाद तैयार मसाला की श्रेणी में आ जाती है। इसलिए बाजार में बेचे जाने पर उस पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी की वसूली की जाएगी।

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