लोकआस्था का महापर्व चार दिवसीय छठ 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। पर्व को लेकर व्रतियों में काफी उत्साह नजर देखा जा रहा है। 28 अक्टूबर आज पूरे जिले में व्रतियों द्वारा नहा-धोकर कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल सहित विविध व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है इसके बाद सपरिवार मिल बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
पंडित बिट्टू भरद्वाज ने कहा कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में महिलाओं को काफी कठिन उपवास रखना पड़ता है और सामाजिक रूप से इस पर्व का काफी महत्व है व्रतियों ने नहाय खाय के दिन कद्दू का सब्जी व भात सेवन किया। चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ संपन्न होगा। इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय की विधि के साथ होती है। इसके तहत व्रती सुबह घरों की साफ- सफाई करते है और स्नान करने के बाद मिट्टी के चूल्हे पर अरवा चावल के भात चने की दाल और लोकी कद्दू की सब्जी बनाते है इससे पहले पहले व्रती महिला और पुरुष पकवानों को सूर्य देवता को भोग लगाते है और अपने स्वजनों की मंगकामना करते है।
छठ व्रती बिना किसी बाधा के इस अनुष्ठान को तप और निष्ठा के साथ पूरा करते है। कल शनिवार को खरना होगा। रविवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को शाम 5.31 पर अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद सोमवार को उदयीमान भगवान भास्कर को प्रातः 6.30 बजे अर्घ्य दिया जाएगा। छठ को लेकर बाजारों में चहल पहल चरम पर है। लोग प्रसाद सहित अन्य समिग्री सहित जरूरत के सामान खरीद रहे है। हाट बाजारों में भीड़ भाड़ के साथ गहमागहमी देखी जा रही है।
छठ व्रतियों से मिली जानकारी अनुसार छठ व्रत समता, समानता व समरसता पर आधारित पर्व है। जहां सभी प्रकृति प्रदत्त उपादान का ही प्रयोग होता है। छठ व्रतियों द्वारा छठ व्रत को लेकर चाहे वह खरना के लिये गेहूं सुखाने काम हो या फिर उन्हें तैयार करने का दूध लाने जाना हो या फिर छठ व्रत में प्रयोग होने वाले कोई भी सामान को लेकर विशेष सूचिता का ध्यान रखा जाता है । उन्होंने बताया कि छठ व्रत में अनुयायियों द्वारा अंतर्मन से मांगी गयी सभी मुरादें उदीयमान नक्षत्र भाष्कर द्वारा अवश्य पूरा किया जाता है। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में छठ व्रत को लेकर आस्था में काफी वृद्धि हुई है। छठ व्रत को लेकर आस्था ऐसी की जब किसी व्रती की माली हालत ठीक नहीं होती तो पर्व को लेकर भिक्षाटन कर भी पर्व मनाने में गुरेज नहीं करतीं।
हालांकि सभी सामानों की बढ़ती कीमत ने जरूर छठ व्रतियों को परेशान किया। इसके बावजूद छठ व्रतियों में उमंग उत्साह में कमी नहीं दिखी। वहीं छठ पर्व की आस्था को लेकर धर्म विशेष के दुकानदारों द्वारा भी सुचिता व साफ सफाई का बखूबी निर्वहन किया गया है। जो सामाजिक ताना बाना को मजबूत करने का पर्याय भी है । छठ पर्व समाज में व्याप्त ऊंच नीच, छोटा बड़ा, अमीर गरीब की खाई को पाट कर एक मंच पर लाती है।
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