Stock Market: शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच पहली बार घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की स्टॉक होल्डिंग विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) से अधिक हो गई है। माना जा रहा है कि इक्विटी होल्डिंग मामले में घरेलू संस्थागत निवेशकों के आगे निकल जाने से आने वाले दिनों में बाजार में तुलनात्मक तौर पर अधिक स्थिरता की स्थिति बनेगी। इसके साथ ही विदेशी निवेशकों द्वारा अचानक की जाने वाली बिकवाली की स्थिति में भी शेयर बाजार बड़ी गिरावट का शिकार होने से काफी हद तक बच सकेगा।
घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास अब 69.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एसेट्स
एसीआई इक्विटीज द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों की स्टॉक मार्केट में होल्डिंग 16.91 प्रतिशत हो गई है, जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों की होल्डिंग 16.84 प्रतिशत ही है। इस तरह डीआईआई की इक्विटी होल्डिंग एफआईआई की इक्विटी होल्डिंग से अधिक हो गई है। इक्विटी होल्डिंग के इस पैटर्न के मुताबिक घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास अब 69.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एसेट्स हो गए हैं। वहीं, विदेशी संस्थागत निवेशकों के पास 69.58 लाख करोड़ रुपये के एसेट्स हैं।
चौतरफा बिकवाली का दबाव
पिछले साल अक्टूबर के महीने से ही विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली का दबाव बना दिया था। विदेशी निवेशकों की इस बिकवाली के दौरान बाजार को सहारा देने के लिए घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी बड़े पैमाने पर खरीदारी की। डिपॉजिटरी के आंकड़ों पर नजर डालें तो सितंबर 2024 के बाद से मार्च 2025 के अंत तक विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में 2.06 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली करके अपने पैसे निकाले। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस अवधि में शेयर बाजार में 3.97 लाख करोड़ रुपये की खरीददारी करके बाजार को सहारा देने की कोशिश की। घरेलू संस्थागत निवेशकों की इस खरीदारी के कारण ही भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में पहली बार उनकी इक्विटी होल्डिंग विदेशी संस्थागत निवेशकों की तुलना में अधिक हो गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान का कहना है कि पिछले 1 साल के ट्रेडिंग पैटर्न पर नजर डालें, तो इस अवधि में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने खरीदारी करने की तुलना में बिकवाली अधिक की है। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों, विशेष रूप से म्युचुअल फंड्स ने एसआईपी के जरिए इक्विटी मार्केट में लगातार अपने निवेश को बढ़ाया है। इसके साथ ही गिरते बाजार में खरीदारी करके घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अपना इक्विटी बेस भी मजबूत किया है। इसके कारण आने वाले दिनों में बाजार के उतार-चढ़ाव पर कुछ हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा।
घरेलू संस्थागत निवेशक मजबूत
श्रीकांत चौहान का कहना है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों के निवेश को विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश की तुलना में अधिक स्थाई माना जाता है। विदेशी संस्थागत निवेशक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली किसी भी हलचल से प्रभावित होकर अपने पैसे को सुरक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर बिकवाली शुरू कर देते हैं, जिससे शेयर बाजार की स्थिति खराब होने की आशंका बन जाती है। ऐसे समय में घरेलू संस्थागत निवेशक मजबूती के साथ खरीदारी का रास्ता चुनते हैं तो विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण बाजार पर पड़ने वाले निगेटिव इफेक्ट की आशंका भी काफी हद तक कम हो जाती है। इसलिए अगर स्टॉक मार्केट में घरेलू संस्थागत निवेशकों की स्टॉक होल्डिंग विदेशी संस्थागत निवेशकों की तुलना में अधिक हो गई है तो इसे भारतीय शेयर बाजार के भविष्य के लिहाज से एक अच्छा संकेत माना जा सकता है।