दिल्ली, मुंबई, पुणे और अहमदाबाद जैसे महानगरों में प्रदूषण का स्तर दिनोंदिन खतरनाक स्तर तक बढ़ता जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में जहां वाहनों से उड़ने वाली धुआं ताथ धूल कण हवा में जहर घोल रहे हैं, वहीं दिल्ली की बात करें तो एक अच्छी बात भी समाने आई है। अब यहां औद्योगिक प्रदूषण पहले की अपेक्षा काफी कम हुआ है। मुंबई की हवा में इस वर्ष मार्च-मई में कणिका तत्व एकाग्रता यानी पीएम 2.5 का औसत बढ़कर 40.3 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर पाए जाने से इसका लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ गया है।
देश में पीएम का औसत 40 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर है। लेकिन डब्ल्यूएचओ की नई संशोधित गाइडलाइन के अनुसार हवा में पीएम 2.5 का औसत केवल 5 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर ही होना चाहिए। डब्ल्यूएचओ की इस गाइडलाइन पर गौर करें तो मुंबई में प्रदूषण 8 गुना बढ़ जाने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। वे कई तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट मे आ रहे है और उनकी उम्र कम हो रही है।
सफर इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा
सफर इंडिया ने दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और पुणे में सभी स्रोतों से पीएम 2.5 के उत्सर्जन का आकलन किया। इसमें पता चला है कि दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 77, अहमदाबाद में 57, मुंबई में 45 और पुणे में 30 गीगाग्राम प्रति वर्ष है। सफर इंडिया के निदेशक डॉक्टर गुरफान बेग ने बताया कि शहरीकरण के कारण घनी आबादी प्रदूषण का स्तर बढ़ने का मुख्य कारण है। यह चारों महानगरों में किसी न किसी रुप में पीएम 2.5 उत्सर्जन को प्रभावित करती है।
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परिवहन सबसे बड़ा स्रोत
डॉ. बेग ने बताया कि पीएम 2.5 के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत परिवहन है। इसकी हिस्सेदारी दिल्ली में 41, पुणे में 40, अहमदाबाद में 35 और मुंबई में 31 प्रतिशत है। बायो ईंधन की हिस्सेदरी मुंबई में सबसे अधिक 15.5, पुणे में 11.4, अहमदाबाद में 10.2 और दिल्ली में 3 प्रतिशत है। औद्योगिक उत्सर्जन पुणे में सबसे अधिक 21.6, अहमदाबाद में 18.8 और मुंबई में 13.1 प्रतिशत पाया गया है।