हिंदू संस्कृति और परंपरा में दिवाली को महापर्व माना जाता है। इस त्योहार को देश के साथ ही विदेशों में रह रहे भारतवंशी भी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। लोगों को इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। रोशनी का यह त्योहार तमसो मा ज्योतिर्गमय यानी अधंकार से प्रकाश की ओर बढ़ो के मंत्र पर आधारित है। इसे अज्ञान पर ज्ञान, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
इस वर्ष दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी। यह महापर्व अश्विन की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी से शुरू होकर कार्तिक की शुक्ल पक्ष द्वितीया को समाप्त होता है। इस महापर्व पर पूजा का सबसे उत्तम समय सूर्योदय के बाद माना जाता है। इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 1 घंटा 55 मिनट तक का है। यह 4 नवंबर को शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
देवी लक्ष्मी का पूजन और जरुरी सामग्री
-एक लकड़ी की चौकी
-चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा
-देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र
-कुमकुम
-चंदन
-हल्दी
-रोली
-अक्षत
-पान-सुपारी
-नारियल भूसी के साथ
-अगरबत्ती
-घी
-पीतल या मिट्टी का दीपक
-कपास की बत्ती
-पंचामृत
-गंगाजल
-फूल, फल, कलश, जल और आम के पत्ते
-कपूर, कलाव
-गेहूं के दाने
-दुर्वा घास
-धूप
-छोटी झाड़ू
-दक्षिणा
-आरती की थाली
पूजा विधि
-घर की अच्छी तरह सफाई कर गंगाजल छिड़कें
-लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं और बीच में थोड़ा सा अनाज रखें
-कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे के फूल, सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें
-कलश पर पांच आम के पत्ते गोलाकर में रखें
-बीच में देवी लक्ष्मी और कलश की दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें
-एक छोटी थाली में चावल के दानों का एक छोटा ढेर बना लें
-हल्दी से कमल का फूल बनाएं और कुछ सिक्के डालें तथा मूर्ति के सामने रखें
-अब अपने व्यापार- लेखा पुस्तक और अन्य व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के सामने रखें
-अब देवी और भगवान गणेश को तिलक करें तथा दीपक जलाएं, कलश पर भी तिलक लगाएं
-अब पुष्प चढ़ाएं और पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें
-अपनी आंखें बंद कर लें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें
-हथेली पर रखे फूल को भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी को चढ़ाएं
-देवी की मूर्ति को पानी से स्नान कराएं। उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं
-फिर उन्हें पानी से स्नान कराएं और साफ कपड़े से पोछकर वापस रख दें
-मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल चढ़ाएं। देवी को पुष्प माला पहनाएं और अगरबत्ती जला लें
-नारियल, सुपारी, पान का पत्ता मां देवी को अर्पित करें
-देवी की मूर्ति के सामने फूल और सिक्के रखें
-थाली मे दीया लें और पूजा की घंटी बजाएं
-देवी की आरती करें
मान्यताएं
अधिकांश स्थानों पर पांच दिनों तक दिवाली मनाई जाती है। इस महापर्व को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 वर्षो का वनवास पूरा कर और रावण का वध कर इसी दिन अयोध्या लौटे थे। यह भी मान्यता है कि माता धनलक्ष्मी का समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन जन्म हुआ था। इस दिन घर में पुआ-पकवान और तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं तथा लोगों को मिठाईयां खिलाकर दिवाली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। साथ ही बड़े लोगों से आशीर्वाद भी लिया जाता है।