श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी यानि नागपंचमी पर 2 अगस्त को श्री काशी विश्वनाथ के स्वर्णिम दरबार में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। भोर में मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु कतारबद्ध होकर दरबार में झांकी दर्शन और जलाभिषेक कर रहे हैं। गंगा के जलस्तर में बढ़ाव के चलते गंगाद्वार की ओर से मंदिर में प्रवेश बंद कर दिए जाने के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ सड़क पर आ गई।
कोतवालपुरा से कतार बांसफाटक, गोदौलिया तक पहुंच गई थी। इसके पहले सावन के तीसरे सोमवार पर देर शाम शयन आरती तक लगभग साढ़े छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के स्वर्णिम दरबार में हाजिरी लगाई। शाम को दरबार में अर्धनारीश्वर स्वरूप में विराजमान हुए बाबा के विग्रह को देख श्रद्धालु निहाल हो गये। श्रद्धालुओं ने पावन ज्योर्तिलिंग पर जलाभिषेक किया और घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना की।
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तीसरे 1 अगस्त को मंदिर में मंगला आरती के पश्चात जैसे ही आम दर्शनार्थियों के लिए बाबा का दरबार खुला वैसे ही श्रद्धालु हर-हर महादेव, बोल-बम के नारों के जयकारा लगाते हुए बाबा दरबार में प्रवेश किए। इसके बाद बाबा को दूध जल बेलपत्र चढ़ाकर श्रद्धालु आह्लादित रहे। इस बार गंगा का जलस्तर बढ़ने के चलते गंगा किनारे बने भव्य प्रवेश द्वार से श्रद्धालुओं का प्रवेश इस बार प्रतिबंधित रहा, जिसके चलते श्रद्धालुओं की भीड़ अन्य प्रवेश द्वारों पर बढ़ी रही। जैसे-जैसे दिन चढ़ेगा, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में जगह-जगह पेयजल, कूलर, पंखे, मैटिंग की व्यवस्था की गई थी। शाम के समय श्रृंगार भोग आरती के समय बाबा की अर्धनारीश्वर स्वरूप का श्रृंगार किया जायेगा। चल रजत प्रतिमा का हुए इस भव्य श्रृंगार को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु देर रात तक मंदिर परिसर में उपस्थित रहे।
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और उन्होंने आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि सावन के तीसरे सोमवार को भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी रही। शाम के समय श्रद्धालुओं का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया, मंगला आरती के बाद ही श्रद्धालुओं का आवागमन मंदिर परिसर में शुरू हो गया। रात 8 बजे तक ही 05 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ दरबार में हाजिरी लगा चुके थे।
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