उप्र के इस भाग में बड़ी समस्या बन रहे हैं बेसहारा गोवंश

मेरठ जनपद में एक अस्थायी गोआश्रय स्थलों में 2005 गोवंश संरक्षित है। दो वृहद गो संरक्षण केंद्रों में 590, तीन कान्हा गोशाला में 1015 गोवंश है।

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बेसहारा गोवंश एक बार फिर पश्चिमी उप्र में बड़ा मुद्दा बनते जा रहे हैं। बेसहारा गोवंश के कारण मेरठ समेत कई जिलों में लोगों की जान जा चुकी है। इन गोवंशों के संरक्षण के लिए खोली गई गोशाला और गोवंश आश्रय स्थल कम पड़ रहे हैं। ऐसे में किसान संगठन भाकियू, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) समेत कई संगठन आंदोलन का बिगुल फूंकने लगे हैं। लोगों के आक्रोश को भांपकर प्रशासन ने गोवंश संरक्षण के लिए नए केंद्र खोलने की कवायद तेज कर दी है।

2022 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बेसहारा गोवंश का संरक्षण बड़ा मुद्दा बना था। पश्चिमी उप्र में भारतीय किसान यूनियन, रालोद आदि पार्टियों ने इसे भाजपा सरकार की विफलता के रूप में गिनाया था। इसी कारण शामली जनपद की तीन और मुजफ्फरनगर जनपद की चार सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। मेरठ में बेसहारा गोवंश (सांड़) तीन लोगों की जान ले चुके हैं। रोहटा क्षेत्र में सांड के हमले में बैंक कर्मचारी राहुल की मौत हो गई। मीरपुर गांव में सांड़ के हमले में महिला की मौत हो गई। इसी तरह से जिंजोखर गांव में सांड़ ने छुआरा सिंह को टक्कर मार दी। उनकी मौत हो गई।

इसी तरह से अन्य जनपदों में बेसहारा गोवंश के कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है। गांवों में बेसहारा गोवंश किसानों की फसलों को उजाड़ रहे हैं। अपनी फसलों को बचाने के लिए किसानों को कड़ाके की ठंड में रात में भी पहरा देना पड़ रहा है। इससे किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बेसहारा गोवंश के मुद्दे को भाकियू, रालोद जैसे संगठनों ने फिर से मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए गांव-गांव में बैठकें की जा रही हैं और प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाने की तैयारी हो रही है। लोगों के इस आक्रोश को प्रशासन भांप गया है और गोवंश संरक्षण के प्रयास तेज कर दिए हैं।

गांवों में किया जा रहा ऐलान
गांव-गांव घूम रहे बेसहारा गोवंश को पशुपालकों ने ही छोड़ दिया है। गायों के दूध देना छोड़ने पर उन्हें बेसहारा छोड़ा जा रहा है। इसी तरह से बछड़ों को बेसहारा छोड़ा जा रहा है। प्रशासन और पशुपालन विभाग ने इसे रोकने की पहल की है। गांव-गांव में जाकर पशुपालकों को मुनादी करके गोवंश को बेसहारा नहीं छोड़ने के बारे में चेताया जा रहा है। अपने पशु को बेसहारा छोड़ने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश गर्ग का कहना है कि पशुपालकों को अपने पशुओं को बेसहारा नहीं छोड़ने के लिए जागरूक किया जा रहा है। पशु को बेसहारा छोड़ने पर कार्रवाई की जाएगी।

ईयर टैग हटाकर पशुओं को छोड़ रहे
गोवंश का रिकॉर्ड रखने के लिए पशुओं की ईयर टैगिंग की गई थी। कई दिन से लोग कानों से टैग हटाकर अपने गोवंश को जंगल और गोआश्रम स्थलों के बाहर छोड़कर जा रहे हैं। सीडीओ ने भी इस बात को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि कई दिन से गोवंश को छोड़ने की संख्या बढ़ी है। लोगों ने कान से टैग हटाकर पशुओं को खुला छोड़ दिया है। ऐसे मामलों की पड़ताल की जा रही है।

प्रत्येक विकास खंड में खुलेगी नई गोशाला
मेरठ के सीडीओ शशांक चौधरी ने बताया कि प्रत्येक विकास खंड में नई गोशाला खोली जाएगी। प्रत्येक गोशाला की क्षमता 150 पशु की होगी। इसके लिए एसडीएम, खंड विकास अधिकारियों को जिम्मा सौंपा गया है। पुरानी गोशालाओं की क्षमता वृद्धि की जा रही है।

भाकियू ने बेसहारा गोवंश की रोकथाम नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। भाकियू के एनसीआर उत्तर प्रदेश महासचिव मनोज त्यागी ईकड़ी ने बताया कि छह जनवरी को कमिश्नरी का घेराव किया जाएगा। इसके लिए कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई गई है।

मेरठ जनपद में गोआश्रय स्थल
मेरठ जनपद में एक अस्थायी गोआश्रय स्थलों में 2005 गोवंश संरक्षित है। दो वृहद गो संरक्षण केंद्रों में 590, तीन कान्हा गोशाला में 1015 गोवंश, एक कांजी हाउस में 100, तीन पंजीकृत गोशाला में 1090 और नौ अपंजीकृत गोशाला में 2100 गोवंश संरक्षित है।

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