कोरोना महामारी से प्रभावित दुनियाभर की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ सकती है। विशेषकर वर्ष 2024 तक विकसित देशों के हालात सुधर सकते हैं। यह दावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने किया है। हालांकि विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था उम्मीद से पांच फीसदी कमतर रह सकती है।
कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित होने के बाद अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक-2022 में ‘वैश्विक वृद्धि के लिए अगले कदम’ विषय पर आयोजित विशेष सत्र में गीता गोपीनाथ ने कहा कि वैश्विक पुनरुद्धार को यूक्रेन में युद्ध के कारण बड़ा झटका लगा है।
वैश्विक विकास दर में बड़ी गिरावट
उन्होंने कहा कि वैश्विक विकास दर में गंभीर गिरावट से दुनिया को लगातार विपरीत हालात से जूझना पड़ रहा है। इससे लोगों के समक्ष जीवन-यापन समस्याएं प्रमुख हैं। वर्तमान में ईंधन और भोजन समेत जिंसों की कीमतें दुनियाभर में बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से निपटने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए उन्हें ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी करनी पड़ रही है, जिसका वैश्विक वित्त और व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
सब देश की स्थिति अलग-अलग
गीता गोपीनाथ ने कहा कि दुनियाभर में अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौटने की प्रक्रिया भी अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि मेरे अनुमान के मुताबिक विकसित अर्थव्यवस्थाएं 2024 में वहीं पहुंच जाएंगी, जहां उन्हें महामारी नहीं होने की स्थिति में होना चाहिए था, लेकिन उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को अपने अनुमानित लक्ष्य से पांच प्रतिशत पीछे रहने का अनुमान है।