दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा यदि दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस को बची राशि का भुगतान किया जाता है, तो इसका संचालन पूरी तरह से रूक जाएगा, जो कि जनता के हित के लिए हानिकारक होगा।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि यदि दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड को बची राशि का भुगतान लिया जाता है, तो इसका संचालन पूरी तरह से बंद हो जाएगा, जो जनहित के लिए काफी नुकसान होगा। NCR में मेट्रो ट्रेन में रोज लगभग 48 लाख लोग यात्रा करते है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने डीएएमईपीएल के इस मामले में उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए इक्विटी ब्याज मुक्त अधीनस्थ ऋण के रूप में केंद्र से 3,500 करोड़ रुपये की मांग की थी। सितंबर में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीएमआरसी को दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन के संबंध में 2017 के मध्यस्थ पुरस्कार के अनुपालन में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्च र-प्रमोटेड (डीएएमईपीएल) को चार सप्ताह में बची राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने कहा था यदि ट्रांसपोर्ट पोर्टर अनुपालन करने में सफल नहीं होते हैं तो दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक की उपस्थिति के लिए कॉल करना ‘बाधित’ होगा। जस्टिस वी कामेश्वर राव ने हना था- ‘मैं यह निर्देश देना उचित समझता हूं कि पुरस्कार के संबंध में बची हुई भुगतान चार सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाएगा। ये स्पष्ट किया जाता है कि यदि राशि का भुगतान चार सप्ताह के भीतर नहीं किया जाता है तो दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक को कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।’ कोर्ट ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर को सूचित किया था।
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भुगतान के लिए मांगे निर्देश
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने 14 मार्च को केवल 166.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया और 4,427.41 करोड़ रुपये के शेष भुगतान के लिए निर्देश मांगे। इसमें कहा गया है कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा वास्तविक भुगतान की तारीख तक ब्याज लागू रहेगा। कोर्ट को सूचित किया गया कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा 10 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एसएलपी को खारिज कर दिया गया है और क्यूरेटिव याचिका को अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने पुरस्कार के रूप में बची राशि का भुगतान करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है, अंतिम रूप से प्राप्त हो चुका है। डीएएमईपीएल
डीएएमईपीएल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा था कि भुगतान करने के लिए 10 मार्च, 2022 के आदेश का पालन नहीं किए जाने के पर आगे कोई समय नहीं देना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि 5 अगस्त तक दिए गए समय का भी पालन नहीं किया गया।
10 मार्च को उच्च न्यायालय ने डीएमआरसी को दो महीने के भीतर दो समान किश्तों में डीएएमईपीएल को ब्याज के साथ 4,600 करोड़ रुपये से अधिक का मध्यस्थ पुरस्कार देने का निर्देश दिया था। पहली और दूसरी किस्त का भुगतान क्रमशः 30 अप्रैल, 2022 और 31 मई, 2022 को या उससे पहले किया जाना था।
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