कोविन आदेश ही नहीं मानता? कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा हुई कागजी घोड़ा

कोरोना के भयंकर संक्रमण से देश जूझ रहा है। चुनाव, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों ने इसे फैलने का पूरा अवसर दे दिया है। देश में प्रतिदिन 2 लाख से अधिक नए संक्रमित सामने आ रहे हैं। इन परिस्थितियों में भी अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मी, फार्मासिस्ट में से कइयों का टीकाकरण अभी नहीं हो पाया है।

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देश में कोरोना की पहली लहर में डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जग में करोड़ों लोगों ने हाथ जोड़कर प्रार्थनाएं की, प्रशंसा के पुल बांधे और थाली बजी, तालियां बजीं। इसके बाद अपनी जान न्यौछावर करनेवाले कोरोना योद्धाओं के लिए बीमा की घोषणा की गई। लेकिन इसके एक वर्ष बाद परिस्थितियां भिन्न हो चुकी हैं। कोरोना का भयानक संक्रमण है लेकिन सरकार के कागज और पोर्टल में भिन्नता आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव का जो आदेश लिखित में अनुमति देता है उसे केंद्र सरकार का कोविन पोर्टल स्वीकार ही नहीं करता।

दौड़ाए कागजी घोड़े

आयु मर्यादाओं के अनुसार चल रहे टीकाकरण अभियान में स्वास्थ्य कर्मियों को भी सीमित कर दिया गया है। इससे टीकाकरण से वंचित रह गए 45 वर्ष से कम आयु के स्वास्थ्य कर्मी या फार्मासिस्ट कोरोना संक्रमण के सीधे खतरे में रहकर कार्य कर रहे हैं। स्वास्थ्य सचिव ने 5 अप्रैल 2021 को जो आदेश दिया है वह कागजी घोड़ा है क्योंकि उसे कोविन पोर्टल स्वीकार नहीं कर रहा है। जिसके कारण 18 वर्ष से 44 वर्ष की आयु के स्वास्थ्य कर्मियों और फार्मासिस्ट का पंजीकरण ही नहीं हो पा रहा है।
कैलाश टांडले, अध्यक्ष, महाराष्ट्र रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट असोशिएशन

वैसे, पिछले वर्ष मार्च में कोरोना के साथ शुरू हुई लड़ाई में प्रधानमंत्री स्वत: स्वास्थ्य कर्मियों का उत्साह और सम्मान वर्धन करते रहे। 22 मार्च 2020 को तालियां बजीं, थालियां बजीं और कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ाया गया। कोरोना पीड़ितों के साथ खड़े होने का विश्वास दिलाया गया।

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इसके बाद 3 मई 2020 को तो कोरोना संक्रमितों का इलाज करनेवाले अस्पतालों के ऊपर कोरोना योद्धाओं के सम्मान में वायु सेना के हेलीकॉप्टरों से पुष्प वर्षी भी की गई।

इस बीच बहुत सारे घोषवाक्य आए कुछ लोगों के सोशल मीडिया स्टेटस बने, कइयों ने इसे अपनी स्टोरी बनाई। तब तक वर्ष 2020 की बारिश खत्म हो चुकी थी। मॉनसून गया तो बंद और प्रतिबंधित देश से कोरोना का संसर्ग भी नियंत्रण में आने लगा। इस बीच त्योहार आए दीये घरों में प्रज्वलित हुए लेकिन सार्वजनिक रूप से कोई पर्व नहीं मनाया गया।

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समस्याओं के बीच समाधान की एक लौ जली जब भारत समेत विश्व के चंद शीर्ष देशों को वैक्सीन के रूप में संजीवनी मिली। यह संजीवनी थी कोरोना वैक्सीन, जिसके आने के बाद सबसे पहली वैक्सीन 16 जनवरी, 2021 को लगी तो कोरोना योद्धाओं को। देश में 3,350 सत्र टीकाकरण के हुए और पहले ही दिन 2 लाख लोगों से अधिक लोगों को टीका लगा।

अब टीका 45 वर्ष की आयु से ऊपर वालों को दिया जा रहा है। लेकिन इससे कम आयु वर्ग के वे कोरोना योद्धा जो इस वर्ष सेवा में आए है या टीकाकरण में छूट गए हैं उन्हें भी अब आयु की बंदिश में सरकार के पोर्टल ने बांध दिया है।

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