कोरोना वायरस ने दुनिया भर के देशों में तबाही मचा रखी है, लेकिन अभी तक पुख्ता तौर पर यह नहीं पता चल पाया है कि इसकी उत्पति कहां से और कैसे हुई। हालांकि भारत और अमेरिका सहित 62 देश चीन के वुहान से इस घातक वायरस की उत्पति का दावा कर रहे हैं। इस बीच भारतीय दंपति वैज्ञानिक ने ये दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान लैब से ही लीक हुआ था।
पुणे के वैज्ञानिक दंपति राहुल राहलकर और डॉ. मोनाली राहलकर ने इसके लिए विश्व के अलग-अलग देशों के नागिरकों के साथ मिलकर पुख्ता सबूत जुटाए हैं। जिन उन लोगों से सबूत जुटाए गए हैं, वे मीडियाकर्मी, खुफिया एजेंसियों के अधिकारी या सरकारी पदों पर बैठे लोग नहीं हैं। वे अनजान लोग हैं और इसका मुख्य स्रोत सोशल मीडिया और ओपन प्लेटफॉर्म हैं।
ग्रुप का नाम ड्रैस्टिक
इन्होंने इस ग्रुप का नाम ड्रैस्टिक यानी डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोमस सर्च टीम इनवेस्टिगेंटिग कोविड-19 रखा है। इनका मानना है कि कोरोना चीन के वुहान शहर स्थित मछली बाजर से नहीं, बल्कि वुहान की लैब से निकला है। बता दें कि इनकी इस थ्योरी को एक बार साजिश बताकर खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब पुख्ता सबूतों को देखते हुए इसने विश्व भर के लोगों को यह मानने के लिए मजबूर कर दिया है। अमेरिका के रष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं।
अपने स्तर पर जांच कर रहा है ग्रुप
फिलहाल इस ग्रुप के लोग अपने स्तर पर इसकी जांच कर रहे हैं और अपने दावे को सच साबित करने के लिए ज्यादा सबूत जुटा रहे हैं। चीन के गुप्त दस्तावेजों के अनुसार इसकी शुरुआत 2012 में हुई थी। तब छह खदान श्रमिकों को यन्नान के मोजियागंज में इस गुफे की सफाई करने के लिए भेजा गया था, जहा बड़ी संख्या में चमगादड़ों ने अपना परिवार बसा रखा था। उन मजदूरों की मौत हो गई थी। वर्ष, 2013 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के निदेशक डॉ. झेंगली और उनकी टीन वहां से सैंपल को अपने लैब लेकर आई थी।
ड्रैस्टिक का दावा
ड्रैस्टिक का दावा है कि वहां कोरोना का एक अलग स्ट्रैन मिला था। उसका नाम आरएसबीटीकोव/4491 दिया गया था। वैज्ञानिक दंपति के अनुसार वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के साल 2015-17 के दस्तावेज में इसके विस्तार का विववरण है। ये बहुत की खतरनाक प्रयोग था, जिसने वायरस को बहुत घातक बना दिया। थ्योरी में दावा किया गया है कि लैब की गलती के कारण कोविड-19 विस्फोट हुआ।