सरकार के इन निर्णयों से महंगाई पर लगेगा अंकुश

सरकार ने देश में घरेलू मांग और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जो मंगाई को काबू में रखने लोगों के व्यापक हित में है।

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापार महासंघ (एबीकेवीएम) ने खाना पकाने के कुछ तेलों के आयात पर सीमा शुल्क घटाने का स्वागत किया है।

महंगाई से राहत प्रदान करने का प्रयास
कैट एवं एबीकेवीएम ने 25 मई को जारी एक संयुक्त बयान में कच्चे सोयाबीन और कच्चे सूरजमुखी के आयात पर सीमा शुल्क हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की की सराहना की। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल तथा एबीकेवीएम के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि भारत सरकार का यह फैसला महंगाई पर अंकुश लगाने और लोगों को महंगाई से राहत प्रदान करने के लिए एक सार्थक और ठोस प्रयास है। देश में महंगाई अब तक के उच्चतम स्तर पर है। ऐसे में कच्चे तेल पर आयात शुल्क हटाने और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध से निश्चित तौर पर मुद्रास्फीति में कमी आएगी, जिससे आम आदमी को फायदा होगा।

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दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि कच्चे तेल पर आयात शुल्क हटाने के फैसले के तहत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि आयात के इच्छुक व्यक्तियों को टीआरक्यू लाइसेंस लेना होगा। उन्हें उनकी वार्षिक खपत के अनुपात में आयात करने की अनुमति दी जाएगी, जो कई मायनों में उचित प्रतीत होता है। साथ ही सरकार ये भी सुनिश्चित करे कि इस कदम का लाभ उपभोक्ताओं को मिले। उन्होंने कहा कि क्योंकि यह इसलिए भी जरूरी है कि आयातक इस लाभ को अपने पास न रख लें।

चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध
खंडेलवाल और ठक्कर ने कहा कि सरकार का एक और ऐतिहासिक निर्णय चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना है, जो एक उचित और व्यावहारिक कदम है। उन्होंने कहा कि ब्राजील के बाद भारत दुनिया में चीनी का बड़ा निर्यातक देश है। सरकार ने देश में घरेलू मांग और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जो मंगाई को काबू में रखने लोगों के व्यापक हित में है। ऐसे में हम महंगाई से निपटने के लिए सरकार के इन दो महत्वपूर्ण कदमों की सराहना करते हैं।

100 लाख टन तक सीमित करने का फैसला
उल्लेखनीय है कि सरकार ने कच्चे सोयाबीन और कच्चे सूरजमुखी तेलों के आयात पर सीमा शुल्क तथा एग्रिकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस से छूट दी है। इस फैसले से पहले इन दोनों कमोडिटी के आयात पर 5-5 फीसदी का सीमा शुल्क लग रहा था। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इन दोनों तेलों के दाम पांच से 6 रुपये प्रति लीटर तक घट सकता है। इसके अलावा सरकार ने चीनी के निर्यात को 100 लाख टन तक सीमित करने का फैसला लिया है। डीजीएफटी के जारी आदेश के मुताबिक चीनी पर यह पाबंदी एक जून, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक या अगले आदेश तक जारी रहेगा।

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