सारनाथ में बुद्ध पूर्णिमा पर निकली बुद्ध चेतना रैली

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि मैत्री, करुणा, मुदिता, उपेक्षा ये मानवीय मूल्यों के सहजीवन की भावनाएं हैं। इन भावनाओं के विहार भौतिक न होकर मानसिक हैं

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आज त्रिविध पावनी बुद्ध पूर्णिमा पर बुद्ध चेतना रैली निकाली गई थी। पर्यटन विभाग, धर्मचक्र इंटर कॉलेज तथा महाबोधि इंटर कॉलेज के संयुक्त बैनर तले निकली रैली सारनाथ स्थित धम्मेक स्तूप होते हुए मूलगंध कुटी विहार पर आकर समाप्त हुई। इसके पहले रैली को पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने धर्मचक्र इंटर कॉलेज से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में लगभग 3000 विद्यार्थी, पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लगभग 500 लोग थे।

बुद्ध पूर्णिमा पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केन्द्र में श्रमण विद्या संकाय की ओर से आयोजित “बौद्ध धर्म मे मैत्री एवं मुदिता” विषयक गोष्ठी में वक्ताओं ने भगवान बुद्ध के चरित्र और तत्वज्ञान को बताया। गोष्ठी में सारनाथ स्थित केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो गे.शे. नवांग सामतेन ने कहा कि बुद्ध चरित्र और तत्वज्ञान में ब्रम्ह और उनके भवन का बार-बार उल्लेख आता है तब अध्येता पशोपेश में पड़ जाते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है। लेकिन इसका सही विश्लेषण होने पर इस दुविधा का शमन होता है। उन्होंने कहा कि बुद्ध-दर्शन में चार ब्रम्ह विहारों की कल्पना की गई है। मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा- ये चार ब्रम्ह विहार (भवन) हैं। ये विहार यानि लोक भवन हैं। उन उन भावनाओं की प्राप्ति करने वाले श्रमण इन विहारों में वास करते हैं। ब्रह्म सह्म्पति,इस भवन के स्वामी हैं ऐसी कल्पना की गयी।

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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि मैत्री, करुणा, मुदिता, उपेक्षा ये मानवीय मूल्यों के सहजीवन की भावनाएं हैं। इन भावनाओं के विहार भौतिक न होकर मानसिक हैं। गोष्ठी में पाली एवं बौद्ध अध्ययन विभाग ,बीएचयू के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं आचार्य प्रो. लालजी “श्रावक” ने भी विचार रखा। अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण प्रो. हरिशंकर पान्डेय ने पढ़ी। गोष्ठी में कुलसचिव डॉ ओमप्रकाश, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. रामपूजन पान्डेय, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. सुधाकर पान्डेय, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. महेंद्र पान्डेय आदि लोग उपस्थित रहे।

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