…और ‘टीके’ गए मंत्री जी

कोरोना परीक्षण में स्वयंसेवक बननेवाले पहले मंत्री है हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज। साधारतया न्यूज चैनलों में टीका-टिप्पणी करनेवाले अनिल विज खुद टीका लगवाएंगे इसकी घोषणा वे पहले कर चुके थे। इसके अंतर्गत भारत बायोटेक की स्वदेशी कोराना वैक्सीन कोवैक्सीन के तीसरे परीक्षण में पहली डोज मंत्री जी को दी गई।

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कोरोना वैक्सीन के तृतीय चरण का मानव परीक्षण चल रहा है। इसके अंतर्गत हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बतौर स्वयंसेवक टीका लगवाया। अनिल विज पर टीके के असर का अब परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए डॉक्टरों का दल उनकी नियमित सेहत जांच करेगा।

कोरोना परीक्षण में स्वयंसेवक बननेवाले पहले मंत्री है हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज। साधारतया न्यूज चैनलों में टीका-टिप्पणी करनेवाले अनिल विज खुद टीका लगवाएंगे इसकी घोषणा वे पहले कर चुके थे। इसके अंतर्गत भारत बायोटेक की स्वदेशी कोराना वैक्सीन कोवैक्सीन के तीसरे परीक्षण में पहली डोज मंत्री जी को दी गई।

दो चरणों में हुई पास…

मिली जानकारी के अनुसार देश मे 25 केंद्र और 26 हजार स्वयंसेवकों पर चल रहा तीसरे स्तर का परीक्षण। इस परीक्षण में सम्मिलित डॉ.रमेश वर्मा के अनुसार अब अनिल विज को दूसरा डोज 28 दिन बाद दिया जाएगा। इस बीच उनके शरीर में एंटी बॉडीज के निर्माण प्रक्रिया की निरंतर जांच की जाएगी। पहले दो चरण कोवैक्सीन पास कर चुकी है। इसमें जिन स्वयंसेवकों को ये डोज दी गई थी उनमें से किसी में भी कोई साइड इफेक्ट नहीं मिला है।

टीका-टिप्पणी से टीकाकरण के वालंटीयर

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को अंबाला सिविल अस्पताल में कोवैक्सीन का टीका दिया गया। अनिल विज अपनी सटीक और बेरोकटोक टिप्पणियों के लिए पहचाने जाते हैं। पेश है उनके राजनीतिक करियर की कुछ झलकियां…

  • अंबाला केंट में पढ़ाई के दौरान एबीवीपी कार्यकर्ता के रूप में जुड़े
  • बैंक ऑफ इंडिया से 1974 में जुड़े
  • 1990 में बीजेपी ने नौकरी छोड़कर चुनाव लड़वाया और जीत भी गए
  • 1996 और 2000 में निर्दलीय लड़े और जीते
  • 2009, 2014 और 2019 में बीजेपी से लड़े और जीते
  • 2014 में कैबिनेट मंत्री बनाया गया
  • 2019 में दोबारा बने कैबिनेट मंत्री, मिला स्वास्थ्य मंत्रालय

कहां पहुंचा स्वदेसी कोवैक्सीन का परीक्षण?

  • देश के वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित पहली कोरोना वैक्सीन
  • भारत बायोटेक, इंडियन काऊंसिल ऑफ मेडिकल रीसर्च और नेशनल इस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा निर्माण
  • पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकी पर आधारित है वैक्सीन
  • भारत बायोटिक के बीएसएल-3 (बायो सेफ्टी लेवल 3) में विकसित
  • डीजीसीआई ने दी प्रथम, द्वितीय और तृतीय चरण के क्लीनिकल परीक्षण की अनुमति
  • जुलाई 2020 से शुरू हुए थे परीक्षण
  • सफलता से पूरे हुए प्रथम और द्वितीय चरण के परीक्षण
  • देश में 25 केंद्र और 26 हजार स्वयंसेवकों पर चल रहा तीसरे स्तर का परीक्षण

ये वैक्सीन भी परीक्षण दौर में!

विश्व में कई कंपनियां कोरोना के वैक्सीन पर रीसर्च और परीक्षण कर रही हैं। इसमें निम्नलिखित कंपनियों का परीक्षण पूरा होने की स्थिति में है।

  • ऑक्सफोर्ड -अस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन परीक्षण के एडवांस स्तर पर है। क्रिसमस के बाद इसके लेट स्टेज ट्रायल के शुरू होने का अंदाजा है। अब तक हुए परीक्षण में ये सफल रही है। मानवीय परीक्षण में इसका कोई दुस्प्रभाव देखने में नहीं आया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन का निर्माण दवा निर्माता अस्ट्रा जेनेका के साथ मिलकर करेगी।

भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड -अस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन को बेचेगी। इसका नाम कोवीशील्ड है। जिसे 500-600 रुपए प्रति टीके के मूल्य पर उपलब्ध कराया जाएगा।

  • मॉडेर्ना कोरोना वैक्सीन

इस कंपनी की वैक्सीन लेट लार्ज स्केल परीक्षण में 94.5 प्रतिशत सफल रही है। कंपनी के सीईओ स्टीफन बैंसेल ने घोषणा करते हुए बताया कि इसमें अधिक निवेश की आवश्यकता है जिससे वैक्सीन का निर्माण जल्द किया जा सकता है।

  • फाइजर कोविड वैक्सीन

फाइजर कंपनी के अनुसार उसकी कोविड वैक्सीन 95 प्रतिशत सफल रही है। कंपनी को 2 महीने का सेफ्टी डेटा चाहिए। वो अमेरिका के औषधि नियंत्रक एफडीए के पास इमरजेंसी ऑथोराइजेशन के लिए अप्लाई करने जा रही है।

 

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