बिहार में अचानक फिर बढ़ी ठंड! जानिये, कब तक राहत मिलने का है पूर्वानुमान

बिहार में एक बार फिर अचानक मौसम में बदलाव आ गया है। 1 फरवरी की सुबह से ही तेज पछुआ हवा चलने के कारण तापमान में गिरावट शुरू हो गई है।

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पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से बिहार में एक बार फिर अचानक मौसम में बदलाव आ गया है। मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 1 फरवरी की सुबह से ही तेज पछुआ हवा चलने के कारण तापमान में गिरावट शुरू हो गई है।

बसंत पंचमी के साथ खिली धूप के कारण लोगों को ठंड से राहत मिली थी, लेकिन अब तेज पछुआ हवा के कारण एक बार फिर लोग ठंड का एहसास करने लगे हैं और अगले पांच फरवरी तक मौसम में और गिरावट होगी। इसके मद्देनजर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा द्वारा एडवाइजरी जारी कर अलर्ट किया गया है।

8.5 डिग्री तक गिर सकता है तापमान
कृषि विज्ञान केंद्र बेगूसराय (खोदावंदपुर) के प्रधान एवं वरीय वैज्ञानिक डॉ. राम पाल ने बताया कि चार फरवरी तक दक्षिण पश्चिम की हवा तथा पांच फरवरी को पछुआ हवा चलेगी। इस दौरान एक फरवरी को जहां न्यूनतम तापमान 12 डिग्री के आसपास रहेगा। दो फरवरी से न्यूनतम तापमान में गिरावट आएगी तथा यह 9.5 डिग्री से घटते-घटते 8.5 पर आ जाएगा।

वहीं, अधिकतम तापमान में भी चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट होगी। पूर्वानुमान की अवधि में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। इसके मद्देनजर किसानों को सलाह दी जा रही है कि शुष्क मौसम की संभावना को देखते हुए हल्दी एवं ओल की तैयार फसलों की खुदाई प्राथमिकता से करें। अगात राई-सरसों की तैयार फसलों की कटाई करें। सरसों की फसल में लाही कीड़ों का आक्रमण हो सकता है। बचाव के लिए डाईमथोएट 30 ई.सी. दवा का एक मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर छिड़काव करें।

विलंब से बोई गई दलहनी फसल में दो प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार करें। पिछात बोई गई गेहूं की फसल में जिंक की कमी के कारण पौधों का रंग हल्का पीला दिखाई दे तो 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 1.25 किलोग्राम बुझा हुआ चूना एवं 12.5 किलो यूरिया को पांच सौ लिटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव आसमान साफ रहने पर करें।

दीमक कीट का प्रकोप फसल में दिखाई देने पर बचाव के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. दवा का दो लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर खड़ी फसलों में समान रूप से व्यवहार करें। सब्जियों में निकाई-गुड़ाई एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। गरमा मौसम की सब्जियों की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें। 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर खाद की मात्रा खेत में अच्छी प्रकार बिखेर कर मिला दें। कजरा (कटुआ) पिल्लू से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए खेत की जुताई में क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. दवा का दो लीटर प्रति एकड़ की दर स 20-30 किलो बालू में मिलाकर व्यवहार करें।

आलू की अगात प्रभेद की तैयार फसलों की खुदाई करें। बीज वाली फसल की ऊपरी लत्ती की कटाई कर लें तथा खुदाई के 15 दिनों पूर्व सिंचाई बंद कर दें। पिछात आलू की फसल में कटवर्म या कजरा पिल्लू की निगरानी करें। मक्का की फसल 50-60 दिनों की अवस्था में है, उसमें 40 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन कर मिट्टी चढ़ा दें। आलू-मक्का अंतर्वर्ती खेती से तैयार आलू की निकाई-गुराई करें तथा मक्का में सिंचाई कर तीन-चार दिन बाद 40 किलो प्रति हेक्टेयर नेत्रजन का उपरिवेशन करे। रबी मक्का की फसल जिसमें धनबाली एवं मोछा आ गई हो, उसमें 40 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से दें।

पशुओं का ऐसे रखें ध्यान
दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में कमी को दूर करने के लिए हरे एवं शुष्क चारे के मिश्रण के साथ नियमित रूप से 50 ग्राम नमक, 50 से एक सौ ग्राम खनिज मिश्रण पशु दाना एवं कैल्सियम खिलाएं। बरसीम की सिंचाई बुआई के 20-30 दिन और जई की सिंचाई 20-22 दिन के बाद करें। प्रत्येक कटनी के बाद सिंचाई कर खेतों में दस किलो नेत्रजन प्रति हेक्टर की दर से उपरिवेशन करें। ज्यादा और अकेले बरसीम नहीं खिलाएं, क्योंकि इससे पशुओं में अपरा रोग हो जाता है।

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