Varanasi: लंदन(London) में पली-बढ़ी बांग्लादेशी मूल की एक मुस्लिम महिला अंबिया बानो(Ambia Bano, a Muslim woman of Bangladeshi origin) ने 12 मई को वाराणसी के धर्म नगरी काशी(Dharm Nagari Kashi) में मां गंगा के किनारे विविध धार्मिक अनुष्ठान(Various religious rituals) के बीच हिन्दू धर्म को अपना(Adopted Hinduism) लिया। अंबिया बानो को नया नाम अंबिया माला(Ambiya Mala) रखा गया है। अंबिया ने सनातन धर्म(Sanatan Dharma) में आस्था दिखाते हुए अपने गर्भ में मारी गई बेटी के मुक्ति के लिए विधिवत पिंडदान(Proper Pind Daan for daughter’s salvation) भी किया। भारत पाकिस्तान के बीच तनाव(Tension between India and Pakistan) को देखते हुए महिला के इस कार्य को सोशल मीडिया(Social Media) में भी खूब सराहना मिल रही है। दशाश्वमेधघाट पर पिंडदान(Pind Daan at Dashashwamedh Ghat) काशी के प्रख्यात पुरोहितों के सानिध्य में पांच वैदिक ब्राह्मणों ने सम्पन्न कराया।
पंचगव्य ग्रहण कराकर आत्मशुद्धि
पिंडदान का कर्मकांड आरंभ होने से पहले सामाजिक संस्था आगमन संस्थापक सचिव डॉ. संतोष ओझा ने गंगा स्नान कराकर सनातन धर्म को स्वीकारने का आह्वान किया। पंचगव्य ग्रहण करा उनकी आत्मशुद्धि कराई। सनातनी बनने के बाद उनका नाम अंबिया बानो से अंबिया माला रखा। अंबिया ने पेट में मारी गई अपनी बेटी की मोक्ष के कामना से वैशाख पूर्णिमा को अपराह्न काल में शांति पाठ भी कराई। श्राद्ध कर्म की शुरुआत आचार्य पं. दिनेश शंकर दुबे ने कराया। सहयोग में पं. सीताराम पाठक, कृष्णकांत पुरोहित, रामकृष्ण पाण्डेय और भंडारी पाण्डेय ने श्राद्ध कर्म कराया।
49 वर्षीय अंबिया माला श्रीरामपुर, सुनामगंज, सिहेत, बंगलादेश की मूल निवासी
डॉ. संतोष ओझा ने बताया कि लंदन में पली- बड़ी 49 वर्षीय अंबिया माला श्रीरामपुर, सुनामगंज, सिहेत, बंगलादेश की मूल निवासी थी। लंदन में उनका विवाह ईसाई धर्म को मानने वाले नेविल बॉरन जूनियर से हुआ था। अंबिया से विवाह करने के लिए नेवल बार्न ने मुस्लिम धर्म स्वीकार किया था। विवाह के करीब एक दशक बाद नेवल से उनका तलाक भी मुस्लिम पद्धति के अनुरूप हुआ।
अंबिया ने पत्रकारों को बताया कि पिछले कुछ वर्षों से उसकी बेटी सपने में आकर उससे अपनी मुक्ति की बात करती थी। इसके बाद तमाम संचार मीडिया के माध्यम से काशी के विषय में जाना और सामाजिक संस्था आगमन को सर्च किया तथा सम्पर्क साधा। इस अनुष्ठान के बाद अंबिका न केवल खुश हैं, बल्कि सनातन धर्म में आने को यह घर वापसी बताती हैं । बकौल माला सनातन धर्म में सुख-शांति और सबके कल्याण की बातें प्रमुख हैं।
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