असम में अब ऐसे विवाहों पर पुलिस की कड़ाई, जानिये कौन हैं निशाने पर?

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असम के मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद पुलिस ने बाल विवाह के विरुद्ध कमर कस ली है। राज्य में बालिका वधू के रिवाज पर रोक के लिए पुलिस ने एक साथ 1,800 लोगों गिरफ्तार कर लिया है। राज्य में बालविवाह के प्रति जीरो टॉलरेन्स नीति अपनाई गई है।

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य में बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की घोषणा की है। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में 23 जनवरी को इस संदर्भ में निर्णय लिया गया था। इसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा काम पुलिस कर रही है, जो बाल विवाह करने वालों के विरुद्ध है। इसमें पिछले दस दिनों में पुलिस ने 4,004 प्रकरण पंजीकृत किये हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि, सबसे अधिक प्रकरण धुबरी जिले में पंजीकृत किये गए हैं, जिसमें 370 प्रकरणों में 136 गिरफ्तारियां की गई हैं। जबकि, बारपेटा में 110 और नागाओं में 100 प्रकरण शामिल हैं।

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पोक्सो कानून के अंतर्गत कार्रवाई
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि, जो लोग 14 वर्ष से कम आयु की किशोरियों का विवाह करेंगे उन पर पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेस) कानून के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा 14 से 18 वर्ष की आयुवाली किशोरियों का विवाह करनेवालों पर प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ऐसे प्रकरणों में कानूनी दंडात्मक कार्रवाई करेगी और वह विवाह अवैध घोषित कर दिया जाएगा।

दूल्हा, काजी, पंडित किसी की खैर नहीं
कानून के अनुसार यदि दूल्हा 14 वर्ष से कम आयु का होता है तो, उसे बालसुधार गृह में भेज दिया जाएगा। परंतु, ऐसे प्रकरण जहां दूल्हा बालिग है, वहां विवाह के लिए जिम्मेदारी पक्ष, दूल्हा, पुजारी या काजी सबके सब कानून कार्रवाई के पात्र होंगे। ऐसे लोगों को जेल भेज दिया जाएगा।

भारत में बाल विवाह कानून
भारत में बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम 28 सितंबर 1929 को लागू किया गया। इसे लेजिस्लेटिव काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पारित किया गया था। इस कानून में किशोरियों के विवाह की आयु 14 वर्ष और किशोरों की 18 वर्ष तय की गई थी। परंतु, 2006 में इसमें परिवर्तन किया गया और अधिनियम बनाया गया, जिसे प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 कहा जाता है। इसमें किशोरियों के विवाह की आयु 18 वर्ष से अधिक और किशोरों के विवाह की आयु 21 वर्ष तय की गई है। इसका उल्लंघन करनेवालों पर दंडात्मक कार्रवाई की प्रावधान किया गया है।

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