इसलिए चला ‘हलाल’ पर हंटर!

एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (अपेडा) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार अब रेड मीट पर हलाल शब्द नहीं लिखा जाएगा। पहले निर्यात के मांस पर लिखा होता था कि, जानवरों का वध इस्लामी देशों की जरूरत के अनुसार हलाल की पद्धति से किया गया है।

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मांस पर अब हलाल शब्द का उपयोग नहीं किया जाएगा। यह निर्णय अपेडा द्वारा लिया गया है। हलाल को लेकर भारत भर के कई संगठनों ने आपत्ति व्यक्त की थी। जिसके बाद ये निर्णय सामने आया है।

एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (अपेडा) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार अब रेड मीट पर हलाल शब्द नहीं लिखा जाएगा। पहले निर्यात के मांस पर लिखा होता था कि, जानवरों का वध इस्लामी देशों की जरूरत के अनुसार हलाल की पद्धति से किया गया है। लेकिन अब इसकी जगह लिखा जाएगा कि जनवरों की बलि आयातकर्ताओं की मांग के अनुसार किया गया है।

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बता दें कि, वर्ष 2019-20 में भारत ने 22,668.48 करोड़ रुपए के बड़े जानवरों के मांस का निर्यात किया था। ये मांस मलेशिया, वियतनाम, इजिप्ट, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, हांगकांग, यूएई, म्यांमार निर्यात किये गए थे। इन सभी पर हलाल लिखा हुआ था। जिसको लेकर कई हिंदू संगठनों को एतराज था।

हलाल का क्या है अर्थ?

हलाल अरबी शब्द है। इसका अर्थ है अनुमेय या वैध। हलाल इस्लाम और उसके मांस के भोजन से संबंधित है। इस्लाम में हलाल प्रक्रिया का पालन न करके मारे गए जानवर या मृतप्राय जानवर का मांस खाना प्रतिबंधित है।

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कुरान में वर्णित हलाल प्रक्रिया

  • केवल मुस्लिम व्यक्ति ही जानवर को मार सकता है। कई जगहों पर यह उल्लेख किया गया है कि अगर यहूदी और ईसाई हलाल नियम का पालन करके जानवरों का वध करते हैं तो उसके भी हलाल माना जाएगा।
  • धारदार चाकू से जानवर को ऐसे काटें कि उसका सिर धड़ से अलग न हो।
  • जानवर के वध के समय कुरान की आयत पढ़नी चाहिये।
  • जानवरों को मारने के बाद उसके नसों से रक्त निकलने दें।
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