छह माह में गंगा तट पर 6759 हेक्टेयर में वनरोपण का लक्ष्य! जानिये, क्या होगा लाभ

गंगा के किनारे के सभी जिलों में गंगा वन लगाए जाने हैं। कासगंज जैसी कुछ जगहों पर इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

154

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि योगी सरकार-1 से ही यह सिलसिला शुरू हो चुका है। जिन 4784 क्लस्टर्स में 175000 किसान 95680 हेक्टेयर में जैविक खेती कर रहे हैं, उनमें नमामि गंगा योजना के तहत 3309 क्लस्टर्स में 63080 हैक्टेयर में जैविक खेती हो रही है। इस खेती से जुड़े किसानों की संख्या 103442 है। भारतीय परंपरा में पतित पावनी, मोक्षदायिनी मानी जाने वाली गंगा को अविरल, निर्मल और प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसके अधिग्रहण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जैविक खेती और वनीकरण को बढ़ावा देगी| सरकार की योजना है कि प्रदेश में गंगा जिन 27 जिलों से गुजरती है उनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जाए। ऐसी खेती जिसमें रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों की जगह उपज बढ़ाने और फसलों के सामयिक संरक्षण के लिए पूरी तरह जैविक उत्पादों का प्रयोग हो ताकि लीचिंग रिसाव के जरिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का जहर गंगा में न घुल सके|

यह भी पढे-आईपीएल 2022 में छक्कों के मामले में बना ऐसा रिकॉर्ड!

जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का
प्रवक्ता ने कहा कि जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का ही है। इंडो-गंगेटिक मैदान का यह इलाका दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार होता है। इसी नाते ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से नवम्बर 2017 में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में आयोजित जैविक कृषि कुंभ में विशेषज्ञों ने यह संस्तुति की थी गंगा के मैदानी इलाकों को जैविक खेती के लिए आरक्षित किया जाय। चूंकि हर साल आने वाली बाढ़ के कारण इस क्षेत्र की मिट्टी बदलकर उर्वर हो जाती है, इस नाते पूरे क्षेत्र में जैविक खेती की बहुत संभावना है। उन्होंने बताया कि योगी सरकार-2 में गंगा के किनारे के सभी जिलों में जैविक खेती को विस्तार दिया जाएगा।सरकारी प्रवक्ता के अनुसार इसी क्रम में योगी सरकार-2 ने अगले छह महीने में गंगा के किनारे 6759 हेक्टेयर में वनीकरण का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जिन जिलों से गंगा गुजरती है उनमें से 503 जगहों का चयन किया गया है। गंगा के अधिग्रहण क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार पहले से ही गंगा वन, गंगा तालाब और सिर्फ गंगा ही नहीं, गंगा की सहायक नदियों और अपेक्षाकृत प्रदूषित नदियों के किनारों पर भी सरकार की योजना सघन पौधरोपण की है। इससे न सिर्फ हरियाली बढ़ेगी, बल्कि प्राकृतिक तरीके से संबंधित नदियों का प्रदूषण भी दूर होगा। साथ ही कटान रुकने से उन क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या या विकरालता भी कम होगी।मालूम हो कि गंगा के मैदानी इलाके का अधिकांश इलाका उत्तर प्रदेश में ही है। गंगा की कुल लंबाई बांग्लादेश को शामिल करते हुए 2525 किलोमीटर है। इसमें से भारत और उत्तर प्रदेश के क्रमशः 2971 एवं 1140 किलोमीटर का सफर गंगा नदी तय करती है। कुल मिलाकर गंगा नदी प्रदेश के 28 जिलों बिजनोर, बंदायू, अमरोहा, मेरठ, बुलन्दशहर, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर शहर, कानपुर देहात, फतेहपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, गाजीपुर आदि से होकर गुजरती है।

गंगा किनारे के सभी जिलों में विकसित होंगे गंगा वन
प्रवक्ता ने बताया कि गंगा के किनारे के सभी जिलों में गंगा वन लगाए जाने हैं। कासगंज जैसी कुछ जगहों पर इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। प्रयास यह है कि ये वन बहुपयोगी हों और इनमें संबंधित जिले के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार परंपरागत से लेकर दुर्लभ और औषधीय प्रजाति के पौधे लगाए जाएं। कुछ ऐसी ही परिकल्पना गंगा सहित अन्य नदियों के किनारे बनने वाले बहुउद्देश्यीय तालाबों के किनारे भी होने वाले पौधरोपण के बारे में की गई है। मकसद एक है पर्यावरण संरक्षण। इससे होने वाले अन्य लाभ बोनस होंगे।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.