कोविड काल में छात्रावासों में होने वाली असुविधा, रिक्त पदों, भत्तों आदि के मुद्दों को लेकर राज्य के सरकारी अस्पतालों और मुंबई महानगरपालिका के अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने 2 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल के साथ ही बीएमसी उपनगरीय अस्पताल की सौ नर्सों ने भी 2 जनवरी को अपनी मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान किया है। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण 2 जनवरी को सरकारी और मनपा के अस्पतालों में मरीजों का उपचार प्रभावित रहा। कई डॉक्टरों ने मरीजों को देखने से मना कर दिया।
रेजिडेंट डॉक्टर नहीं होने के कारण अस्पताल में 50 प्रतिशत स्टाफ कम था और 50 प्रतिशत सर्जर रद्द कर दी गई। मांगें नहीं माने जाने पर निवासी डॉक्टरों ने जल्द ही आवश्यक सेवाएं देना भी बंद करने की घोषणा की है।
प्रभावित रही सेवाएं
मुंबई मनपा और सरकारी अस्पतालों में उपचार कराने आने वाले लोगों की संख्या कम रही। क्योंकि लोगों को मालूम था कि सरकारी और मनपा के अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स 2 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। केईएम, सायन, नायर और जेजे जैसे महत्वपूर्ण अस्पतालों में ईआरवी आउट पेशेंट विभाग के बाहर तीन से चार कतारों में मरीजों की भीड़ नहीं देखी गई। अस्पताल में भर्ती रोगियों का उपचार भी प्रभावित रहा। इसके साथ ही एक्सरे और अन्य टेस्ट के लिए कर्मचारी उपलब्ध नहीं थे।
मार्ड की मांगें
-नायर अस्पताल में लंबित कोविड भत्ते का भुगतान।
-प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में जर्जर छात्रावासों की मरम्मत करवाना, नये छात्रावास स्वीकृत करना।
-सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के 1 हजार 431 पदों के सृजन के प्रस्ताव को तत्काल स्वीकृति प्रदान करें।
-एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए।
-वर्ष 2018 से लंबित महंगाई भत्ते का तत्काल भुगतान किया जाए।
-वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए एक लाख रुपये का एक समान वेतन लागू किया जाए।