जम्मू विमान तल के तकनीकी क्षेत्र में दो धमाके कम तीव्रता के धमाके हुए हैं। इससे एक इमारत की छत पर छेद हो गया जबकि दूसरी धमाका खुले क्षेत्र में हुआ है। इससे कोई जनहानि नहीं हुई है परंतु, इसे ड्रोन के माध्यम से गिराए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस संदर्भ में जांच जारी है। इस हमले को लेकर कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं कि यह ड्रोन किसने किया? यदि सीमा पार से किया गया है तो राडार में क्यों नहीं पकड़ा गया?
जम्मू विमानतल से पाकिस्तान सीमा मात्र 14 किलोमीटर दूर है। जबकि, एक ड्रोन से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी तक बम बरसाए जा सकते हैं। इससे अति-सुरक्षित जम्मू विमानतल के क्षेत्र में बम विस्फोट होना ड्रोन से संभव हो सकता है। परंतु, ये राडार में क्यों नहीं पकड़ा गया यह बड़ा प्रश्न है।
रक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने पिछले वर्ष ही चीन से ड्रोन खरीदे थे, जो एक साथ 20 किलो का पेलोड ले जाने में सक्षम है और 25 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।
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इसलिए ड्रोन पकड़ना कठिन
ड्रोन डिटेक्शन की तीन तकनीकी हैं। इन तीनों तकनीकी की अपनी सीमाएं हैं, संभव है इसलिए जम्मू विमानतल पर हुए धमाके के षड्यंत्र को पकड़ा नहीं जा सका होगा।
Ο रेडियो फ्रिक्वेन्सी मॉनिटरिंग – इस तकीनीकी में मॉनिटरिंग प्री-प्रोग्राम्ड होती है। यह सैटेलाइट ड्रोन को डिटेक्ट करने में असफल होता है।
Ο राडार सिस्टम – इस तकनीकी में ड्रोन का डिटेक्शन उसकी रेंज पर निर्भर करता है। यदि रेंज में अंतर हो तो उसे पकड़ना राडार के लिए संभव नहीं होता।
Ο ऑप्टिकल सेंसर – ऑप्टिकल सेंसर या कैमरे से एक निश्चित दूरी के ड्रोन ही पकड़े जा सकते हैं जबकि, ऐसे ड्रोन जिनकी दूरी अधिक हो उसे पकड़ना मात्र थर्मल कैमरे से ही संभव होता है।
ऐसे हुई घटना
जम्मू विमानतल के तकनीकी क्षेत्र में दो धमाके हुए। पहला धमाका रात 1:37 बजे पर और दूसरा धमाका 1:42 बजे धमाका हुआ। इस धमाके की जानकारी भारतीय वायु सेना के द्वारा दी गई है। जिसमें इसकी पुष्टि की गई है। इस धमाके बाद वायु सेना का जांच दल, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी का दल पहुंच गया है। हालांकि, अभी भी इस धमाके के पीछे ड्रोन अटैक होने की पुष्टि नहीं हो पाई है।