Arnala: देश का पहला एंटी सबमरीन वारफेयर ‘अर्णाला’ नौसेना के बेड़े में होगा शामिल, हिंद महासागर में बढ़ेगी भारत की ताकत

देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट 'अर्णाला' 18 जून को समुद्री बेड़े में शामिल होगा। भारतीय नौसेना विशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में इसे अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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Arnala: देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ 18 जून को समुद्री बेड़े में शामिल होगा। भारतीय नौसेना विशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में इसे अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह पोत भारत की नौसैनिक क्षमताओं में बड़ा बदलाव लाने के साथ ही तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगा। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को पुनः सुदृढ़ करेगा।

कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) में निर्मित यह स्वदेशी जहाज पिछले माह एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टूपल्ली में भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। इस युद्धपोत को लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत डिजाइन और निर्मित किया है। महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक ‘अर्णाला’ किले के नाम पर बना यह युद्धपोत भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दर्शाता है। विभिन्न खतरों के खिलाफ मजबूती से खड़े रहे इसी किले की तरह जहाज को समुद्र में मजबूत उपस्थिति के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मजबूत निर्माण और उन्नत क्षमताएं सुनिश्चित करती हैं कि यह जहाज समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करके उभरते खतरों से भारत के जल की रक्षा कर सकता है।

कोलकाता और कट्टुपल्ली में युद्धपोत निगरानी टीमों की देखरेख में निर्मित
जहाज उत्पादन निदेशालय के मार्गदर्शन और कोलकाता और कट्टुपल्ली में युद्धपोत निगरानी टीमों की देखरेख में निर्मित ‘अर्णाला’ को 08 मई को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित आठ पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल पोत (एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट) में से यह पहला पोत है। इस युद्धपोत में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और एमईआईएल सहित प्रमुख भारतीय रक्षा फर्मों की उन्नत प्रणालियां शामिल हैं। इस परियोजना में 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने सहयोग दिया है।

पानी के नीचे निगरानी रखने में सक्षम
नौसेना के अनुसार ‘अर्णाला’ जहाज को पानी के नीचे निगरानी रखने, तलाश और बचाव कार्यों और कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (एलआईएमओ) के लिए तैयार किया गया है। यह जहाज तटीय जल में एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन में सक्षम है। साथ ही यह माइन बिछाने की उन्नत क्षमता से युक्‍त है। एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट पोत के शामिल होने से भारतीय नौसेना की उथले पानी की पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। यह भारतीय नौसेना का 1490 टन से अधिक सकल भार वाला 77 मीटर लंबा डीजल इंजन-वाटर जेट से संचालित होने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत है।

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क्यों है खास?
जहाज का बख्तरबंद पतवार किले की स्थायी पत्थर की दीवारों को दर्शाता है, जबकि इसके अत्याधुनिक हथियार और सेंसर उन तोपों की जगह लेते हैं, जो कभी आक्रमणकारियों से बचाव करते थे। ‘अर्णाला’ अपने नाम की रणनीतिक शक्ति और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है कि युद्ध के मैदान बदल सकते हैं, लेकिन रक्षा की भावना अटल रहती है, चाहे वह जमीन पर हो या समुद्र पर। जहाज के शिखर के नीचे एक रिबन खूबसूरती से फहराया गया है, जिस पर गर्व से जहाज का आदर्श वाक्य ‘अर्णवे शौर्यम्’ (अर्नावे शौर्यम्) प्रदर्शित किया गया है, जिसका अर्थ है ‘महासागर में वीरता’। यह शिलालेख जहाज के अटूट साहस, दुर्जेय शक्ति और विशाल समुद्र पर प्रभुत्व को दर्शाता है।

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