17 मई की सुबह चक्रवात ताऊ ते ने मुंबई में जोरदार हाजिरी लगाई । ऐसे समय में चौंकाने वाली जानकारी मिली। बताया गया कि मुंबई के कोलाबा इलाके में रडार फेल हो गया। हालांकि उसकी मरम्मत का काम उसी समय युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया।
इस संबंध में मुंबई मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. जयंत सरकार ने हिंदुस्थान पोस्ट द्वारा पूछे जाने पर इसकी पुष्टि की लेकिन ज्यादा जानकारी देने से इकार कर दिया।
रडार की मरम्मत चुनौतीपूर्ण
हिंदुस्थान पोस्ट से बात करते हुए, पुणे मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख के.एस. होसालीकर ने बताया कि रडार में खराबी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि आखिर वह एक मशीन ही तो है। लेकिन डॉप्लर रडार छोटा नहीं, बड़ा होता है। इसलिए उसकी मरम्मत करना चुनौतीपूर्ण है। खास बात यह है कि इस रडार के पुर्जे सामान्य बाजार में उपलब्ध नहीं हैं, वे उस कंपनी में ही उपलब्ध होते हैं। इसलिए, यदि क्षतिग्रस्त हिस्से को बदला जाना है, तो तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। होसालीकर ने कहा कि रडार से चक्रवात के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती थी। ऐसे समय में उसमें खराबी आना दुर्भाग्य की बात है।
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रडार केवल 3 घंटे का अनुमान लगाता है!
होसालीकर ने बताया कि यह एक गलत धारणा है कि डॉप्लर रडार अगले 8-9 या 24 घंटों के लिए मौसम की भविष्यवाणी करता है। यह केवल अगले 3-4 घंटों के लिए मौसम की भविष्यवाणी करता है। इसीलिए बारिश या तूफानी परिस्थितियों में रडार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 24 घंटे की भविष्यवाणी करने के लिए कुछ गणनाएं हैं। इसके लिए सैटेलाइट की मदद ली जाती है।