अब सेना में ब्रिगेडियर और उसे ऊपर के रैंक के अधिकारी पहनेंगे समान वर्दी, इस तिथि से आएगा बदलाव

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भारतीय सेना ने देश की आजादी के 75 साल बाद ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की वर्दी को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब मूल कैडर के बावजूद ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों के लिए एक समान वर्दी अपनाने का फैसला लिया गया है। यह बदलाव इसी साल 1 अगस्त से लागू होंगे। भारतीय सेना के कर्नल और नीचे के रैंक के अधिकारियों की वर्दी में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में चर्चा के बाद निर्णय
वर्दी में बदलाव को लेकर यह फैसला 17-21 अप्रैल को पहली बार हाइब्रिड मॉडल में हुए सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में विस्तृत विचार-विमर्श के बाद लिया गया है। यह भी तय किया गया है कि फ्लैग रैंक (ब्रिगेडियर और ऊपर) के वरिष्ठ अधिकारियों के हेडगियर, शोल्डर रैंक बैज, गोरगेट पैच, बेल्ट और जूते अब मानकीकृत और सामान्य होंगे। ध्वज-रैंक के अधिकारी अब कोई डोरी नहीं पहनेंगे। भारतीय सेना में 16 रैंक होते हैं, जिन्हें तीन कैटेगरी में बांटा गया है। इसी के आधार पर उन्हें पद और वेतन दिया जाता है।

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भारतीय सेना में ब्रिगेडियर वन-स्टार रैंक
भारतीय सेना में ब्रिगेडियर वन-स्टार रैंक है। ब्रिगेडियर का रैंक कर्नल के रैंक से ऊपर और मेजर जनरल के टू-स्टार रैंक से नीचे होता है। एक ब्रिगेडियर क्षेत्र में एक ब्रिगेड को कमांड करता है या एक वरिष्ठ कर्मचारी की नियुक्ति करता है। मूल रूप से इस रैंक को ब्रिगेडियर-जनरल के रूप में जाना जाता था, लेकिन 1920 के दशक से यह एक फील्ड ऑफिसर रैंक रहा है। एक ब्रिगेडियर जनरल कर्नल के ऊपर और एक प्रमुख जनरल के नीचे रैंक करता है। आमतौर पर एक डिवीजन तीन या चार ब्रिगेड से मिलकर बनती है, जिसमें 10-15 हजार सैनिक शामिल होते हैं।

सम्मेलन में कई पहलुओं पर चर्चा
सम्मेलन में रणनीतिक, प्रशिक्षण, मानव संसाधन विकास तथा प्रशासनिक पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया। सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में यह भी फैसला लिया गया है कि युद्ध के दौरान शारीरिक रूप से हताहत हो जाने वाले सैनिकों की पैरालंपिक स्पर्धाओं के लिए पहचान करके उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें नौ खेल प्रतिस्पर्धाओं में आर्मी स्पोर्ट्स और मिशन ओलंपिक नोड्स में प्रशिक्षित करने का निर्णय किया गया है। इसके अलावा युद्ध के दौरान बलिदान होने वाले सैनिकों के सक्षम बच्चों को एजीआईएफ के माध्यम से भरण पोषण भत्ते को दोगुना कर देने का निर्णय लिया गया।

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