अब दुश्मनों के लिए काल साबित होगा राफेल, इन आधुनिक हथियारों से होगा लैस

भारत अब तक खुद हवा से हवा में मार करने वाली रूसी और फ्रेंच मिसाइलों पर निर्भर रहा है।

112

दुनिया के सबसे खतरनाक फाइटर जेट में शुमार फ़्रांसीसी राफेल अब भारतीय स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन और स्वदेशी एस्ट्रा मिसाइल से लैस होगा। इसके लिए फ्रांसीसी कम्पनी डसॉल्ट एविएशन ने 20 अक्टूबर को डिफेंस एक्सपो के दौरान भारत डायनामिक्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह एमओयू भारत के अन्य मित्र देशों के साथ स्वदेशी हथियारों का निर्यात करने के रास्ते भी खोलेगा। एस्ट्रा मिसाइल के दोनों संस्करणों एमके-2 और एमके-3 को राफेल लड़ाकू विमानों में एकीकृत किया जाएगा।

एशिया की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी डिफेन्स एक्सपो में 20 अक्टूबर को फ्रेंच डसॉल्ट एविएशन प्राइवेट लिमिटेड ने राफेल एयरक्राफ्ट पर भारत में विकसित एस्ट्रा मिसाइल और स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन लगाने के लिए भारत डायनामिक्स लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड गोला-बारूद और मिसाइल प्रणाली बनाने वाली भारतीय कंपनी है। एस्ट्रा मिसाइल के दोनों संस्करणों एमके-2 और एमके-3 को राफेल लड़ाकू विमानों में एकीकृत किया जाएगा। स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन को डीआरडीओ ने विकसित किया है, जो लंबी दूरी तक सटीक मारक क्षमता वाला निर्देशित एंटी-एयरफील्ड हथियार है। इसे 100 किलोमीटर की सीमा तक जमीनी लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम बनाया गया है।

भारत अब तक खुद हवा से हवा में मार करने वाली रूसी और फ्रेंच मिसाइलों पर निर्भर रहा है। भारत में विकसित बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल एस्ट्रा एमके-1की मौजूदा रेंज लगभग 110 किलोमीटर है। डीआरडीओ ने दोहरी-पल्स रॉकेट मोटर के जरिये एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल की रेंज 160 किमी. बढ़ाकर इसे युद्ध के आसमान के लिए असली गेम-चेंजर बना दिया है। यह सभी मौसमों से परे-दृश्य-सीमा वाली हवा से हवा में मार करने वाले भारतीय प्रक्षेपात्रों के परिवार का हिस्सा है। यह मिसाइल 500 मीटर से लगाकर 110 किमी. दूरी तक अलग-अलग लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इसे भारतीय सुखोई लड़ाकू विमानों पर लगाया गया है। भविष्य में इसे डसॉल्ट मिराज-2000, एचएएल तेजस और मिकोयान मिग-29 के साथ भी एकीकृत किया जाएगा।

स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार को रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) ने डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के समन्वय और भारतीय वायुसेना के समर्थन से डिजाइन और विकसित किया है। उसका इस्तेमाल भारतीय नौसेना और वायु सेना कर रही हैं। सिस्टम का इलेक्ट्रो ऑप्टिकल कॉन्फिगरेशन इमेजिंग इंफ्रा-रेड (आईआईआर) सीकर तकनीक से लैस है जो हथियार की सटीक स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाता है। इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। इसके विकास में गुणवत्ता और डिजाइन प्रमाणन एजेंसियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), बेंगलुरु ने विमान के साथ हथियार एकीकरण किया है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.