देश के समुद्री तटों की सुरक्षा के लिए नौसेना 15-16 नवंबर को करेगी रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल’

देश भर के समुद्री तटों की सुरक्षा के लिए शुरू किए तटीय रक्षा अभ्यास 'सी विजिल' का तीसरा संस्करण 15-16 नवंबर को होगा।

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मुंबई हमले के बाद देशभर के समुद्री तटों की सुरक्षा के लिए शुरू किए तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल’ का तीसरा संस्करण 15-16 नवंबर को होगा। यह अभ्यास देशभर में फैले 7516 किमी. के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के साथ किया जाएगा। इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा।

नौसेना प्रवक्ता विवेक मधवाल के मुंबई में ’26/11′ हमले के बाद देशभर के समुद्री तटों की सुरक्षा के लिहाज से राष्ट्रीय स्तर का यह तटीय रक्षा अभ्यास 2018 में शुरू किया गया था, ताकि उन सभी विभिन्न उपायों को मान्य किया जा सके, जो समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए बनाये गए हैं। ‘सी विजिल’ अभ्यास की अवधारणा पूरे भारत में तटीय सुरक्षा तंत्र को सक्रिय करने और व्यापक तटीय रक्षा तंत्र का आकलन करने के लिए है। यह अभ्यास भारतीय नौसेना तटरक्षक और अन्य मंत्रालयों के साथ समन्वय में कर रही है, जिन्हें समुद्री गतिविधियों का कार्य सौंपा गया है।

यह अभ्यास प्रमुख थिएटर लेवल रेडिनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज का बड़ा पैमाना है, जिसे भारतीय नौसेना हर दो साल में आयोजित करती है। सी विजिल और ट्रोपेक्स मिलकर समूचे स्पेक्ट्रम समुद्री सुरक्षा चुनौतियों को कवर करेंगे। इसमें भारतीय नौसेना, तटरक्षक, सीमा शुल्क और अन्य समुद्री एजेंसियों की संपत्ति एक्स सी विजिल में भाग लेंगी। रक्षा मंत्रालय के अलावा इस अभ्यास के संचालन में गृह मंत्रालय, बंदरगाह नौवहन और जलमार्ग, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी, सीमा शुल्क और केंद्र और राज्य की अन्य एजेंसियां भी शामिल होंगी।

नौसेना प्रवक्ता ने कहा कि तटीय राज्यों में नियमित रूप से छोटे पैमाने पर अभ्यास आयोजित किए जाते हैं, जिसमें निकटवर्ती राज्यों के बीच संयुक्त अभ्यास भी शामिल है। राष्ट्रीय स्तर पर अभ्यास ‘सी विजिल’ का आयोजन बड़े उद्देश्य की पूर्ति के उद्देश्य से किया जाता है। यह शीर्ष स्तर पर समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा के क्षेत्र में हमारी तैयारियों का आकलन करने का अवसर प्रदान करता है। अभ्यास सी विजिल-22 हमारी ताकत और कमजोरियों का वास्तविक आकलन प्रदान करेगा और इस प्रकार समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने में मदद करेगा।

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