अदम्य साहसी, रणनीतिक कुशलता के परिचायक के निधन से स्तब्ध हूं – प्रवीण दीक्षित

जनरल बिपिन रावत का करियर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से शुरू हुआ और देश के पहले सीडीएस के पद तक चलता रहा।

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सीडीएस जनरल बिपिन रावत का असामयिक निधन देश को स्तब्ध कर गया है। उनके साथ जितने लोगों ने कार्य किया सभी के पास उनके व्यक्तित्व, सौम्य स्वभाव की कुछ न कुछ कहानी है। महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक व आईपीएस अधिकारी प्रवीण दीक्षित को भी कार्यक्रम में जनरल बिपिन रावत के विचारों को जानने का आवसर मिला था।

प्रवीण दीक्षित लिखते हैं, जनरल बिपिन रावत एक दूरदर्शी, अदम्य साहसी, रणनीतिक कुशलता से परिपक्व व्यक्ति थे, उनके असामयिक निधन से स्तब्ध हूं, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।

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अपने अनुभव को विस्तार देते हुए प्रवीण दीक्षित लिखते हैं कि, जनरल बिपिन रावत ने कहा था, प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा में सम्मिलित होना होगा। भविष्य में निजी क्षेत्र, स्टार्ट अप और थल सेना के संयुक्त रूप से कार्य करने को लेकर तैयार रहिये। तकनीकी से प्रोन्नत थल सेना ही नेतृत्व कर सकती है। वर्ष 2030 के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि, वर्तमान का गहन विश्लेषण करें। संसाधनों का अधिकतम उपयोग करें, थल सेना में टेक्नोलॉजी लीडर्स बनाएं।

जनरल बिपिन रावत के अनुसार मुख्य चुनौतियां…
आर्थिक आकांक्षाओं के अनुसार सेना की संख्या में कटौती और तकनीकी से जुड़ाव आवश्यक है। सेनाओं का उपयोग राजनीतिक लाभ प्राप्ति के लिए भी होता है, जिसमें प्रवासी भारतीय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस क्रम में लक्ष्यित परिणाम अंतरराष्ट्रीय दबाव बनने के पहले ही प्राप्त होना आवश्यक है, वह भी न्यूनतम समय में। सेना की सभी यूनिटों को एकीकृत करना चाहिए, जिसमें प्रत्येक यूनिट का अलग-अलग खर्च न हो। विश्व में भारतीय हितधारकों की रक्षा करना महत्वपूर्ण लक्ष्य है। वर्तमान में सेना के विभिन्न विभागों में निगरानी को लेकर आपस में बातचीत नहीं होती।
खतरों का आकलन बहुत कठिन होता है। थल सेना को तकनीकी स्तर पर तैयार करना आवश्यक है। क्षमता आकलन आधारित दृष्टिकोण आवश्यक है। गुप्तचरी, निगरानी और उस पर कार्रवाई में सुधार आवश्यक है। डीआरडीओ सैटेलाइट विकास के क्षेत्र में बड़ा कार्य कर रहा है। आगामी काल में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सिस्टम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सेना और समाचार माध्यम को साथ कार्य करना चाहिए, जिससे एकीकृत संदेश प्रसारित किया जा सके। फेक न्यूज ने विध्वंस जैसे शब्दों से डर उत्पन्न कर दिया है। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस महत्वपूर्ण है। सेना के साथ शिक्षा का लाभ कैसे उठाया जाए यह महत्वपूर्ण है।

थल सेना डिजाइन ब्यूरो, शिक्षाविदों की सहायता से समस्याओं के निदान में सक्षम है। मंदारिन भाषा का तत्काल भांषातर उपलब्ध कराया गया है। यदि आप नई खोज नहीं करेंगे तो आप गायब हो जाएंगे। सीमा पर निगरानी और संवाद के लिए आईआईटी के छात्रों को भेजा जाए। बुलेट प्रूफ जैकेट भारतीय सेना का आईपीआर है।

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का करियर रणनीतिक कुशलता, सूझबूझ, अदम्य साहस का परिचायक है। जो आगामी काल में देश की नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करता रहेगा।

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