देश में नक्सली हिंसा या वामपंथी, चरमपंथी उग्रवाद एक बड़ी समस्या है। देश के 11 राज्य और उनके 90 जिले इससे प्रभावित हैं। इसके निर्मूलन के लिए प्रतिवर्ष सैकड़ो करोड़ का धन व्यय किया जाता है। देश में कई वामपंथी उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। जो देश के अन्य क्षेत्रों हिस्सों से कटे हुए या दुर्गम क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वामपंथी उग्रवाद को लेकर 2004 में एक बड़ा बदलाव आया जब आंध्र प्रदेश में सक्रिय प्यूपल्स वॉर (पीडब्लू) और बिहार में सक्रिय माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआई) का विलय कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मओवादी) में हो गया।
बता दे कि, सीपीआई (एम) देश का सबसे बड़ा वामपंथी उग्रवादी संगठन है, जो नक्सली आतंक की कार्रवाइयों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है। जिसमें बड़ी संख्या में आम जनता और सुरक्षा बलों के लोग मारे जाते हैं। इसकी आतंकी गतिविधियों के कारण ही इसे अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेन्शन) एक्ट,1967 के अंतर्गत प्रतिबंधित संगठनों की सूची में रखा गया है।
विचार
कम्युनिस्ट पार्टी ऑइ इंडिया उग्रवाद से सत्ता पलटने की विचारधारा पर चलता है। संविधान के अधीन लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस विचारधारा का कोई स्थान नहीं है। सरकार ने अनेकों बार इन संगठनों के प्रमुखों को बातचीत के लिए बुलाया लेकिन, सरकार के प्रयत्नों को ये संगठन नित्य ठुकराते ही रहे हैं।
गरीब वनवासी सबसे अधिक प्रभावित
वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित वनवासी क्षेत्र के लोग रहे हैं। केंद्र सरकार के वामपंथी उग्रवाद नियंत्रण विभाग के अनुसार 2004 से 2019 के मध्य 8,197 सामान्य लोगों की मौत नक्सली या वामपंथी उग्रवादी कार्रवाइयों में हुई है। ये दल वनवासी लोगों को पुलिस का जासूस बताकर उन्हें प्रताड़ित करके जघन्य रूप से उनकी हत्या कर देते हैं।
केंद्र का कदम
देश में नक्सली (वामपंथी उग्रवाद) गतविधियों को खत्म करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन वामपंथी चरमपंथी उग्रवाद (लेफ्ट विंग एक्ट्रीमिज्म) विभाग का 19 अक्तूबर, 2006 को गठन किया गया। इसका उद्देश्य वामपंथी और चरमपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में निर्मूलन क्षमता का विकास करना और योजनाओं के माध्यम से नक्सल निर्मूलन में लगी एंजेसियों की धन और बल से सहायता करना। यह विभाग प्रभावित राज्यों में वामपंथी चरमपंथी उग्रवाद द्वारा की जा रही गतिविधियों की निगरानी करता है। इसके लिए यह विभाग सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से योजनाओं के कार्यान्वयन में समन्वयक की भूमिका भी निभाता है।
वामपंथी उग्रवाद को काबू करनेवाले योद्धा
कोब्रा डिवीजन
कोब्रा बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन (CoBRA) की स्थापना विशेष छापामार युद्ध और जंगल अभियान के लिए की गई है। इसके जवान छापामार युद्ध में महारत प्राप्त होते हैं। इन्हें ‘जंगल योद्धा’ के रूप में भी जाना जाता है। कोब्रा कमांडो का चुनाव केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स से ही किया जाता है। देश में 2008-2011 के मध्य 10 कोब्रा यूनिट तैयार की गई थीं।
कोब्रा कमांडो फोर्स का कार्यवृत्त
- वर्ष 2009 से 25,127 ऑपरेशन पूरे किये
- 384 नक्सलियों को किया ढेर
- 3,107 नक्सलियों को पकड़ा
- 2,473 नक्सलियों से समर्पण करवाया
- 1,315 हथियार बरामद
- 37,880 आयुध बरामद
- 11,814.025 किलोग्राम बारूद बरामद
- 4,328 बम, इम्प्रूवाज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस, ग्रेनेड बरामद
- 37,768 डेटोनेटर बरामद
Best wishes to the first batch of 34 @crpfindia Women Warriors on joining the elite CoBRA team. This is the first step towards greater heights and I’m sure these courageous women will leave an indelible mark of greatness in the glorious history of CAPF.#Narishakti pic.twitter.com/bmxrJQtakU
— G Kishan Reddy (@kishanreddybjp) February 6, 2021
नक्सल आतंक से निपटने के लिए केंद्रीय डिवीजन
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा वामपंथी उग्रवाद (लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म) प्रभावित क्षेत्रों में अध्ययन, निर्मूलन और राज्यों को नक्सलियों से लड़ने की शक्ति देने के लिए एक लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म डिवीजन की स्थापना की गई है। यह डिवीजन 19 अक्टूबर, 2006 को अस्तित्व में आया। देश के लगभग 11 राज्य नक्सल आतंक से प्रभावित हैं। जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केरल हैं।
केंद्रीय डिवीजन के कार्य
- केंद्रीय गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी योजना के अंतर्गत राज्यों को नक्सली आतंक से निपटने के लिए सुरक्षा संबंधी खर्च (एसआरई) योजना, विशेष संसाधन योजना, विशेष केंद्रीय सहायता आदि का वितरण करना।
- केंद्रीय सशस्त्र बलों (सीएपीएफ) को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात करना
- आर्थिक सहायता से केंद्रीय सशस्त्र बलों के संसाधन विकास को बल देना
- नक्सल प्रभावित राज्यों की सुरक्षा संबंधी स्थिति का पुनरावलोकन करना और राज्यों को दिशा-निर्देश जारी करना
- राज्य सरकार को नक्सल आतंक से निपटने के लिए सहायता प्रदान करना
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की याजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के बीच समन्वय स्थापित करना
महाराष्ट्र में सी-60
गढचिरोली जिले के विभाजन के बाद नक्सली गतिविधियों में वृद्धि हुई थी। इन नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए 1 दिसंबर, 1990 को तत्कालीन पुलिस अधिक्षक के.पी रघुवंशी ने सी-60 नामक एक विशेष दल का गठन किया। स्थापना के समय सी-60 में मात्र 60 विशेष कमांडो थे। एस.वी गुजर सी-60 दल के पहले प्रभारी अधिकारी थे।
C-60 commandos of the Maharashtra Police kill 37 Maoists in 72 hours – Gadchiroli..#DevendraFadnavis #MaharashtraPolicehttps://t.co/VLzbxSvo6R https://t.co/VLzbxSvo6R
— PMO India: Report Card (@PMOIndia_RC) April 25, 2018
दो विभागों में विभक्त
नक्सली गतिविधियों में आई बढ़ोतरी को खत्म करने के लिए सी-60 को दो विभागों में विभक्त कर दिया गया। इसमें उत्तर और दक्षिण विभाग हैं। दक्षिण विभाग में नक्सली गतिविधियों में बढ़ोतरी के बाद मार्च 1994 को दक्षिण भाग के प्राणहिता उप मुख्यालय में दूसरे मुख्यालय की स्थापना की गई।