समुद्र में भारतीय नौसना की बढ़ी शक्ति, आईएनएस विक्रांत सौंपा गया

आईएनएस विक्रांत के नाम से दूसरा युद्ध पोत तैयार करके भारत ने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पहले विक्रांत को जीवित रखने का प्रयास किया है।

119

आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर राष्ट्र को मिलने वाला देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस ‘विक्रांत’ गुरुवार को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया। स्वदेशी विमान वाहक को जल्द ही भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा, जो हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत की स्थिति और नीले पानी की नौसेना को बढ़ावा देगा। विक्रांत की डिलीवरी के साथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन और विमान वाहक पोत बनाने की विशिष्ट क्षमता है।

परीक्षणों पर खरा उतरा
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) आईएनएस विक्रांत का निर्माण 28 फरवरी, 2009 से कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में शुरू किया गया था। दो साल में निर्माण पूरा होने के बाद विक्रांत को 12 अगस्त, 2013 को लॉन्च किया गया था। दिसम्बर, 2020 में सीएसएल की तरफ से किए बेसिन ट्रायल में विमानवाहक पोत पूरी तरह खरा उतरा था। देश के पहले 40 हजार टन वजनी स्वदेशी विमान वाहक आईएसी विक्रांत ने चारों समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किये हैं। पहला परीक्षण पिछले साल 21 अगस्त को, दूसरा 21 अक्टूबर को और तीसरा इसी साल 22 जनवरी को पूरा किया जा चुका है। आईएसी ‘विक्रांत’ का आखिरी और चौथा समुद्री परीक्षण मई में शुरू किया था जो इसी माह की शुरुआत में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

आत्म निर्भर भारत का परिचायक
इसके भारतीय बड़े में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में दुनिया की शीर्ष तीन नौसेनाओं में से एक बन जाएगी। यह स्वदेशी विमान वाहक ‘आत्मनिर्भर भारत’ की एक शानदार मिसाल है। इसके निर्माण में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच अनुबंध के तीन चरणों में आगे बढ़ाया गया है, जो क्रमशः मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में हुआ। नौसेना डिजाइन निदेशालय ने इसकी डिजाइन 3डी वर्चुअल रियलिटी मॉडल और उन्नत इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर के उपयोग से तैयार की है। भारतीय नौसेना ने आज अपने बिल्डर कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल), कोच्चि से प्रतिष्ठित स्वदेशी विमान वाहक (एसी) विक्रांत की डिलीवरी लेकर समुद्री इतिहास रच दिया है।

…ताकि जिन्दा रहे आईएनएस विक्रांत का नाम
आईएनएस विक्रांत नाम के पोत ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की नौसैनिक घेराबंदी करने में भूमिका निभाई थी। इसलिए आईएनएस विक्रांत का नाम जिन्दा रखने के लिए इसी नाम से दूसरा युद्धपोत स्वदेशी तौर पर बनाने का फैसला लिया गया। एयर डिफेंस शिप (एडीएस) का निर्माण 1993 से कोचीन शिपयार्ड में शुरू होना था लेकिन 1991 के आर्थिक संकट के बाद जहाजों के निर्माण की योजनाओं को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया। 1999 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने परियोजना को पुनर्जीवित करके 71 एडीएस के निर्माण की मंजूरी दी। इसके बाद नए विक्रांत जहाज की डिजाइन पर काम शुरू हुआ और आखिरकार जनवरी, 2003 में औपचारिक सरकारी स्वीकृति मिल गई। इस बीच अगस्त, 2006 में नौसेना स्टाफ के तत्कालीन प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने पोत का पदनाम एयर डिफेंस शिप (एडीएस) से बदलकर स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) कर दिया।

ये भी पढ़ें – अधीर रंजन के बयान पर हंगामा, लोकसभा में ईरानी- सोनिया के बीच चले शब्दों के तीर

पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा
इस आधुनिक विमान वाहक पोत के निर्माण के दौरान डिजाइन बदलकर वजन 37 हजार 500 टन से बढ़ाकर 40 हजार टन से अधिक कर दिया गया। इसी तरह जहाज की लंबाई 252 मीटर (826.772 फीट) से बढ़कर 262 मीटर (859.58 फीट) हो गई। यह 60 मीटर (196.85 फीट) चौड़ा है। यह जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों से संचालित है और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर होंगे। इसमें कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग लगाया गया है, जिससे यह स्वदेशी जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.