डर के रहना रे बाबा… हाइपरसोनिक तकनीकी शौर्य का संकेत

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मुंबई। हाइपरसोनिक तकनीकी के बारे में कहा जाए तो इससे बड़े देश भी डरते हैं। इस तकनीकी की सहायता से दुश्मन पर ध्वनि की अपेक्षा छह गुना तेजी से हमला किया जा सकता है। इससे लैस मिसाइल की सबसे उन्नत मिसाइल मानी जाती है। करीब 300 किलोमीटर दूर लक्ष्य को भेद पाने में सफल इस हाइपरसोनिक मिसाइल को रोकना दुश्मन के भी बस की बात भी नहीं है। इसीलिए इस तकनीकी को शौर्य या सफलता का संकेत माना जाता है।
बटन दबाओ, भूल जाओ
यह मिसाइल इतनी सटीक है कि 300 किलोमीटर दूर के चलित टारगेट को भी आसानी से भेद सकती है और तो और यदि टारगेट अपना रास्ता बदल ले तो मेनुवरेबल तकनीकी के जरिए यह भी अपना रास्ता बदलकर उसके पीछे चल पड़ती है। शायद इसी कारण भारतीय वैज्ञानिकों ने इसे ‘बटन दबाओ और भूल जाओ’ वाली मिसाइल कहा था।
क्या है हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल?
एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल) हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है। जो विमान 6126 किमी प्रतिघंटा से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं। भारत के एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था। इस विमान का उपयोग मिसाइल और सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही कम खर्च पर उपग्रह लॉन्च करने के लिए भी इस तकनीकी का उपयोग किया जा सकता है।
ब्रम्होस-2 होगा इस तकनीकी से लैस
ब्रह्मोस मिसाइल देश की सबसे मॉर्डन और दुनिया की सबसे तेज हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। दुनिया का कोई भी एंटी मिसाइल सिस्टम फिलहाल ब्रह्मोस को रोकने में नाकाम साबित होगा। दरअसल, इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी रफ्तार है। अभी तक अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल को दुनिया की सबसे ताकतवर क्रूज मिसाइल माना जाता था, लेकिन ब्रह्मोस ने उसे भी पछाड़ दिया है। एक बार टारगेट पर लॉक होने के बाद ये चंद सेकेंड में अपने टारगेट को उड़ा देती है। मौजूदा वक्त में दुनिया के किसी भी देश के पास इसे रोकने वाला कोई भी हथियार मौजूद नहीं है। वर्तमान में ब्रम्होस सुपरसोनिक तकनीकी से लैस है लेकिन जब ब्रम्होस-2 हाइपरसोनिक तकनीकी से लैस हो जाएगी तो विश्व की सारी ताकतें इसके आगे नतमस्तक हो जाएंगी।
आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण ब्रह्मोस कॉरपोरेशन ने किया है जो भारत के डीआरडीओ (डिफेंस रीसर्च एण्ड डेपवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का ज्वॉइंट वेंचर है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में लॉन्चिंग तकनीकी उपलब्ध करवा रहा है। इसके अलावा उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है।

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तीन देश कर चुके हैं हाइपरसोनिक विमान का सफल परीक्षण
चीन ने हाल ही में अपने पहले हाइपरसोनिक विमान शिंगकॉन्ग-2 या स्टारी स्काय-2 का सफल परीक्षण किया है। चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एयरोडायनेमिक्स ने चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कारपोरेशन का डिजाइन किया यह विमान परमाणु हथियार ले जाने और दुनिया की किसी भी मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम है। हालांकि सेना में शामिल होने से पहले इसके कई परीक्षण किए जाएंगे। अमेरिका और रूस भी हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण कर चुके हैं।
5 साल में हाइपरसोनिक मिसाइल संभव
भारत के पास अब बिना विदेशी मदद के हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की क्षमता हो गई है। अगले 5 सालों में भारत क्रेन जेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है। एचएसटीडीवी के सफल परीक्षण से भारत को अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्माोस 2 तैयार करने में मदद मिलेगी। फिलहाल इसे डीआरडीओ और रूस की एजेंसी मिलकर विकसित कर रही हैं।

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