महाराष्ट्र सरकार ने ऊंची इमारतों में फायर सेफ्टी नियमों की सिफारिश करने के लिए चार सदस्यों की एक समिति बनाई है। यह जानकारी राज्य सरकार ने 22 अगस्त को बांबे उच्च न्यायालय में दी।
अदालत ने इस पर संज्ञान लेते हुए समिति को दो महीने के भीतर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। प्रशासनिक अधिकारी प्रवीण परदेशी की अध्यक्षता वाली समिति में शहरी नियोजन विभाग की पूर्व निदेशक नोरा शेंडे, मुंबई नगर निगम के विकास योजना विभाग के मुख्य अभियंता संदीप किशोर (इंजीनियर) और एक सदस्य को शामिल किया गया है ।
राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने कोर्ट को बताया कि इसमें समिति के कामकाज का भी जिक्र है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की पीठ ने समिति को दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशों की एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के भीतर समिति को सिफारिशों के संबंध में अपनी टिप्पणी और सुझाव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने समिति को निर्देश दिया है कि जरूरत पड़़ने पर उनकी व्यक्तिगत सुनवाई भी की जाए।
दरअसल, मुंबई पर पाकिस्तान की ओर से 26 नवंबर, 2008 को आतंकी हमले के बाद राज्य शहरी विकास विभाग ने 27 फरवरी, 2009 को फायर सेफ्टी के संबंध में एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी। हालांकि इतने साल बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने अभी तक इस संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी नहीं की। इस दौरान मंत्रालय के साथ-साथ मुंबई के कई इलाकों में कई ऊंची इमारत में आग लगी और भारी मात्रा में जन, धन की हानि हुई। इसी वजह से वकील आभा सिंह ने हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका दाखिल की थी।
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