कोरोना का कोहरामः जानिये, यूपी, बिहार और झारखंड की जमीनी सच्चाई

यूपी, बिहार में कोरोना की दूसरी लहर ने काफी तबाही मचाई है। गंगा में मिलने वाले शव वहां की सच्चाई पर से पर्दा उठाने के लिए काफी हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में शवों का मिलना जारी है।

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उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा में शवों का मिलना जारी है। ये शव कोरोना संक्रमण के कारण इन प्रदेशों में पैदा हुई स्थिति की कहानी कह रहे हैं। समझना मुश्किल नहीं है कि यूपी-बिहार में कोरोना के कारण कितनी भयावह स्थिति बन गई है। इन प्रदेशों के जो भी आंकड़े मिल रहे हैं, उनमें सच्चाई आधी ही है। सच तो यह है कि इन आंकड़ों से कई गुना ज्यादा संक्रमण और मौतें हो रही हैं। इस परिस्थिति में कई लोग संवेदनहीन हो गए हैं और वे कई बार डर से और कई बार अभाव में अपनों का अंतिम संस्कार भी नहीं कर रहे हैं। वे उनके शवों को गंगा में प्रवाहित कर खुद को जिम्मेदारी मुक्त समझ ले रहे हैं।

निश्चित रुप से ये शव न आसमान ने टपके हैं, और न जमीन से निकले हैं। ये शव उनके सगे-संबंधियों द्वारा प्रवाहित किए गए हैं। इनकी मौत को लेकर भी कोई रहस्य नही है। कई लोगों के प्लास्टिक में लिपटे और पीपीई किट के साथ पाए गए शव खुद ब खुद सच्चाई बयान कर रहे हैं।

यूपी, बिहार और झारखंड का बुरा हाल
दरअस्ल यूपी, बिहार और झारखंड कोरोना की दूसरी लहर में बुरी तरह तबाह हुए हैं। शहरों में तो टेस्ट और अस्पतालों की व्यवस्था ठीकठाक दिख रही है, लेकिन गांवों की स्थिति बहुत ही भयावह है। वहां न जांच की सुविधा है और न उपचार की। इस हालत में उनका उपचार झोला छाप डॉक्टर ही कर रहे हैं और कई बार वे खुद भी इसकी चपेट में आ जा रहे हैं।

ये है सच्चाई
– बिहार की राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर दूर रामगढ़ गांव के रहिवासी और पूर्व मुखिया राम सुंदर सिंह ने गांव की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि यहांं ज्यादातर लोग बीमार हैं। उन्हें सर्दी-खांसी और बुखार की समस्या है, लेकिन टेस्ट की कोई व्यवस्था नहीं होने से वे घर पर रहकर ही अपना उपचार करा रहे हैं।

– पास के ही शहर तेलपा के रहने वाले शिवशंकर साव बताते हैं कि यहां कोरोना तो बहुत लोगों को है, लेकिन पता नहीं चल रहा है। क्योंकि जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी भी तबीयत ठीक नहीं है लेकिन घर पर ही उपचार करा रहा हूं। अभी थोड़ा ठीक लग रहा है।

– बिहार के माली गांव के अरुण शर्मा कहते हैं, स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन कोई रास्ता भी नहीं है। टेस्ट के लिए दूर शहर में जाना पड़ता है, लेकिन बहुत कम ही लोग जाते हैं। ज्यादातर लोग तो इस बात से भी डरते हैं कि कहीं टेस्ट में कोरोना आ गया, तो लोगों का देखने का नजरिया बदल जाएगा। इसलिए वे खुद भी टेस्ट कराने से बचते हैं।

– यही हाल यूपी और झारखंड का भी है। झारखंड के बोकारो निवासी संतोष सिंह बताते हैं,  मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है, लेकिन कौन टेस्ट कराने जाए। घर पर ही उपचार करा रहा हूं। दो-चार दिन में ठीक हो जाऊंगा।

ज्यादातर लोग कोरोना को हराने में सफल
समझना मुश्किल नहीं है कि यूपी, बिहार और झारखंड के गांवों की क्या जमीनी सच्चाई है। ज्यादातर लोग कोरोना को हराने में सफल भी हो जा रहे हैं, लेकिन कुछ लोग हारकर दम भी तोड़ दे रहे हैं। गंगा में मिलने वाले शव वास्तव में यूपी-बिहार की सच्चाई को उजागर कर रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों से इन प्रदेशों में आंकड़ों में कमी आने की खबरें मिल रही हैं। लेकिन इन आंकड़ों पर कितना भरोसा किया जाए, ये भी एक सवाल है।

शव कह रहे हैं तबाही की कहानी
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से बिहार तक गंगा में शवों का मिलना जारी है। गाजीपुर, चंदौली, बलिया में शव मिलने के बाद वाराणसी के रामनगर थाना क्षेत्र में भी 5 शव गंगा में पाए गए। पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी शव 60 प्रतिशत तक जले हुए हैं। समझा जा रहा है कि लकड़ी के अभाव में इन शवों को गंगा में बहा दिया गया होगा। सूचना मिलने पर राम नगर थाने के पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और शवों को गंगा से निकालने की कार्रवाई शुरू की।

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चंदौली में मिले चार शव
चंदौली जिले के धानापुर के बड़ौरा गांव के तट पर 13 मई को लोगों ने चार शव देखे।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ज्यादातर शव प्लास्टिक में लिपटे हुए थे। यहां चार शव मिलने से स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया। बाद में पुलिस ने इन शवों को दफनाने का प्रबंध किया।

गाजीपुर में 8 शव मिले
गाजीपुर में चार दिन बाद एक बार फिर गंगा किनारे 8 शव मिले। बाद में स्थानीय प्रशासन ने इन्हें दैत्रावीर बाबा शव दाह स्थल पर इन शवों को दफना दिया। बता दें कि चार दिन पहले यहां 123 शव मिले थे। इन्हें 11 मई को दफना दिया गया था।

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बलिया में मिले 17 शव
बलिया जिले के थाना नरही क्षेत्र में बलिया-बक्सर पुल के नीचे गंगा नदी में 11 मई को 17 शव बरामद किए गए थे। शव के हाल को देखकर लग रहा था कि इन्हें कई दिन पहले गंगा में बहा दिया गया होगा। बाद में स्थानीय प्रशासन ने इन शवों को दफना दिया था।

पटना में शवों की दुर्गति
पटना में गंगा में बहकर आ रहे शवों को जानवर नोचकर खा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि  जिनकी मौत आइसोलेशन में हुई होगी, उनके परिजनों ने उनके शवों को पटना के दीघा की ओर पानी में बहा दिया होगा। गंगा में तेज धारा नहीं होने के कारण शव किनारे आकर लग जा रहे हैं। कई शव तो ऐसे दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें पीपीई किट के साथ बहा दिए गए हैं। इन शवों को गुलाबी घाट या अन्य दूसरे घाट पर इवनिंग वॉक करने आने वाले लोग देख रहे हैं। वे वीडियो बना रहे हैं। कई लोग शवों को गंगा में फेंके जाने को लेकर नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं।

पुलिस की तैनाती
लोग गंगा में शवों को न फेंके, इसके लिए चौसा व चरित्रवन स्थित श्मशान घाटों पर पुलिस को तैनात कर दिया गया है। वहीं मोटर बोट से गश्ती के जरिए भी नजर रखी जा रही है। यही नहीं, शव बरामदगी के बाद हुई बदनामी को रोकने के लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जा रहा है। गंगा में महाजाल लगाया गया है।

सीएम योगी ने कही ये बात
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी शव को नदी में न डाला जाए। बल्कि धर्म के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया जाए। नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए जानवरों तक के शव को प्रवाहित करने पर प्रतिबंध है।

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