दुश्मन हो जाएगा राख: ‘अग्नि प्राइम’ बैलिस्टिक मिसाइल में मिली बड़ी सफलता

दस दिनों के भीतर भारत मिसाइल का दूसरा परिक्षण कर रहा है। इसके पहले पिनाका रॉकेट की उन्नत श्रेणी का प्रक्षेपण किया गया था।

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन को एक बड़ी सफलता मिली है। संगठन ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम फायरिंग रेंज से किया गया, जो सभी मानकों पर खरा उतरा।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने टेक्स्ट बुक लॉंच के अंतर्गत विभिन्न टेलीमेटरी और राडार को सक्रिय करके अग्नि प्राइम को पूर्वी तट से प्रक्षेपित किया। इस दौरान उसकी क्षमताओं और सटीकता की गणना की गई। अग्नि प्राइम की रेंज 1000 से 2000 किलोमीटर की है और सर्फेस टू सर्फेस मिसाइल 1000 किलोग्राम का पे लोड ले जा सकती है।

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ये हैं विशेषताएं
अग्नि मिसाइल की पहली नई श्रंखला है अग्नि प्राइम। जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है। यह बैलिस्टिक मिसाइल है जिसका भार अग्नि-3 की अपेक्षाकृत 50 प्रतिशत कम है। इसके अलावा इसे निर्देशित करनेवाली नई प्रणाली और नई पीढ़ी के प्रोपल्जन सिस्टम से लैस है। यह कैनिस्टराइज्ड होने के कारण इस रेल, सड़क से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में आसानी और भंडारण करना लंबे समय तक संभव है।

अग्नि प्राइम में 4,000 किलोमीटर तक मार करनेवाली अग्नि-4 और 5000 किलोमीटर तक मार करनेवाली अग्नि-5 की तकनीकी का उपयोग किया गया है। यह दो स्टेज की सॉलिड ईंधन आधारित मिसाइल है, जिसका संचालन इनर्शल नेविगेशन सिस्टम करता है। जो रिंग लेजर गायरोस्कोप पर आधारित है। दोनों ही स्टेज कंपोजिट रॉकेट मोटर और डाइडेंस सिस्टम से परिपूर्ण हैं।

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अग्नि-1 की जगह लेगी
भारत ने अग्नि श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइल का पहला परीक्षण 1989 में किया था। अग्नि-1 की रेंज 700-900 किलोमीटर की है। इसे 2004 में सेना में शामिल किया गया है। अब अग्नि प्राइम इसकी जगह लेगी। भारत के पास अग्नि श्रृंखला की पांच मिसाइलें हैं।

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