भारतीय सेना सीमा पर चीन और पाकिस्तान से लोहा लेने को तैयार है। चीन सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने आपातकालीन स्थिति में हथियार खरीदने या पट्टे पर लेने की अनुमति दी थी। केंद्र सरकार ने यह निर्णय 2016 में उरी हमले के बाद लिया था। जिसकी समय सीमा को सरकार ने बढ़ा दिया। जो सेना को सज्ज करने के लिए सरकार की गो अहेड नीति के अंतर्गत ही है।
सीमा पर चीन की चीटिंग और सैनिकों के सीमा उल्लंघन पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सेनाओं को खुली छूट दे दी थी। इसके अलावा पाकिस्तान के संघर्ष विराम के उल्लंघन और आतंकी चालों का जवाब देने के लिए सेना को सज्ज करने के लिए केंद्र सरकार ने कई निर्णय किये थे। जिसके लिए सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं। जिसके अगले चरण में सरकार ने आपातकालीन स्थिति में 500 करोड़ रुपए के हथियार बगैर सरकार की इजाजत के खरीदने की छूट दी थी। पहले यह सीमा 100 करोड़ रुपए की। सेना को दी गई यह छूट 2020 के मध्य तक ही थी। सूत्रों की मानें तो इसे अब बढ़ा दिया गया है।
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बता दें कि, 2016 में उरी में हमला हुआ था। इस हमले के समय सरकार ने पाया कि सेना के पास रिजर्व स्टॉक कम था। जिसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने तीनों सेनाओं को आपातकालीन परिस्थिति से मुकाबला करने के लिए सेना की आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी करी दी। पहले ये 100 करोड़ रुपए की थी जिसे बाद में 500 करोड़ रुपए तक कर दिया गया था।
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