असम राइफल्स के काफिले पर हमले में चीनी हाथ! जानें, कैसे?

पीपल्स लिबरेशन आर्मी 1978 में अस्तित्व में आई थी। उसकी शुरू से ही चीन से सांठगांठ रही है।

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मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हमले में इस प्रदेश में सक्रिय आतंकी संगठन पीपल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ माना जा रहा है, हालांकि अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। सरकार तथा देश की खुफिया एजेंसियां इस बारे में पता लगाने में जुटी हैं। बताया जा रहा है कि इन दिनों मणिपुर में छह से अधिक आतंकी संगठन सक्रिय हैं। यहां तक कि इनके कुछ नेताओं और संगठनों के केंद्र म्यांमार में भी हैं। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि चीन से भी इनकी सांठगांठ है। संदेह यह भी जताया जा रहा है कि चीन के इशारे पर ये हमले कराए गए। इसकी जांच में एजेंसियां लगी हुई हैं।

बता दें कि 13 नवंबर को इस हमले में सेना के एक कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनके परिवार समेत सात लोग हुतात्मा हो गए।

चीन का शुरू से ही समर्थन
पीपल्स लिबरेशन आर्मी 1978 में अस्तित्व में आई थी। उसकी शुरू से ही चीन से सांठगांठ रही है। इसमें शामिल आतंकी चीनी-तिब्बती भाषा बोलते हैं और ये चीन के करीबी माने जाते हैं। यह संगठन इससे पहले भी हमले करता रहा है, लेकिन 13 नवंबर का इसका हमला सबसे घातक माना जा रहा है। बताया जाता है कि मणिपुर के कई इलाकों में यह संगठन सक्रिय है और इस आतंकी संगठन से लगभग 400 आंतकी जुड़े हुए हैं। मणिपुर को अलग देश बनाने की इनकी मांग प्रमुख है।

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पीएलए के बारे में खात बातें
-पीएलए शुरू से ही भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस को अपना निशाना बनाती रही है।
-1990 के आसपास इसने राज्य पुलिस के जवानों पर हमला नहीं करने का घोषणा की थी।
-1982 में पीएलए के प्रमुख थॉडम कुंजबेहारी की मौत हो गई थी।
-1981 में एन बिशेश्वर सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
-इन दो कारणों से यह संगठन कमजोर पड़ गया था।
-1989 में संगठन ने राजनैतिक फ्रंट बनाया था,जिसका नाम रिवॉल्यूशनरी पीपल्स फ्रंट रखा था।
-आतंकी संगठन का दावा है कि यह प्रदेश की सभी जनजातियों के हित के लिए लड़ रही है।
-असम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय के साथ ही मिजोरम में भी इसके आंतकी सक्रिय हैं।

2015 से सीओ रैंक के चार अधिकारी हुतात्मा
कर्नल विप्लव त्रिपाठी-46 असम राफल्स, कर्नल संतोष महाडिक- 41 आरआर कुपवाड़ा,
कर्नल आशुतोष शर्मा-21 आरआर हंदवाड़ा, कर्नल संतोष बाबू- 16 बिहार रेजिमेंट

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