चीन और पाकिस्तान को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस देश के कई लोग साइबर अपराध की दुनिया में कदम रख चुके हैं। वे भारतीय नागरिकों को अपना शिकार बना रहे हैं। इस पैसे का इस्तेमाल भारत में ही आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने के लिए किए जाने का भी खुलासा हुआ है।
मध्य प्रदेश के एक व्यापारी से मसालों के ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर ठगी की गई। जब राज्य साइबर सेल ने इसकी जांच की तो जानकारी मिली कि क्रिप्टो करेंसी के जरिए यह राशि पाकिस्तान भेजी जा चुकी है। इसमें पाकिस्तान और चीन के नागरिकों के शामिल होने का खुलासा हुआ। उसके बाद देश की एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि यह सामान्य धोखाधड़ी का मामला है या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है।
जांच एजेंसियां सतर्क
फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरह की घटनाओं का संज्ञान लिया गया है। एमपी साइबर सेल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक योगेश चौधरी ने इस बारे में बताते हुए कहा कि ऑनलाइन ठगी के मामलों में पाकिस्तान और चीन के नागरिकों की संलिप्तता की जानकारी हमारे पास है। लेकिन इस रकम का देशविरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं, इस बारे में हमारी जांच जारी है। लेकिन मामले में दिल्ली, गुरुग्राम और राजकोट से चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद यह जानकारी मिल रही है कि साइबर ठगी के पैसों का इस्तेमाल आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है।
इस तरह की जा रही है ठगी
दरअस्ल अंतर्राष्ट्रीय साइबर अपराधियों ने केमैन आइसलैंड को भारत से ठगी की रकम हस्तांतरण का मुख्य स्थान बना रखा है। यहां क्रिप्टो करेंसी के जरिए भारत से ठगी की रकम प्राप्त की जा रही है। अब तक 100 करोड़ रुपए की रकम यहां भेजे जाने का खुलासा हो चुका है। इस मामले में बीनांस नामक क्रिप्टो करेंसी का एक्सचेंज शामिल है। पहले इसका हेड ऑफिस चीन में हुआ करता था, लेकिन चीन में क्रिप्टो करेंसी को लेकर सख्त कानून लागू हो जाने के बाद एक्सचेंज का मुख्यालय अब केमैन आइसलैंड में शिफ्ट हो गया है। इस देश मे इस तरह के ऑपरेशन करने पर कोई पाबंदी नहीं है।
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ऑनलाइन ठगी को रोकना जरुरी
चीन और पाकिस्तान के इस तरह की ऑनलाइन ठगी में शामिल होने का खुलासा होने के बाद भारत की चिंता बढ़ गई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर का मामला होने के कारण इस तरह के अपराधों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में काफी परेशानी हो सकती है।