सीमा सुरक्षा बल के प्रति राज्य रहें संवेदनशील : उपराष्ट्रपति

सीमा सुरक्षा बल के प्रति समाज में सम्मान की भावना बनाए रखने की अपील की गई है। देश की सीमा के बड़े क्षेत्र की रक्षा सीमा सुरक्षा बल करता है।

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सीमा सुरक्षा बल

सीमा सुरक्षा बल के 20वें अलंकरण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभी राज्य सरकारों, विशेषकर सीमावर्ती राज्यों की सरकारों से सीमा सुरक्षा बल के प्रति सहानुभूतिपूर्ण और संवेदनशील होने की अपील की। उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि, बीएसएफ कर्मियों को भारत की लंबी और जटिल सीमाओं की रक्षा करने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सभी राज्य सरकारें सकारात्मक कदम उठाएं और अपने तंत्र को संवेदनशील बनाएं ताकि बीएसएफ का मनोबल हमेशा ऊंचा बना रहे।

वीरता पदक प्रदान
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बुधवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 20वें अलंकरण समारोह के दौरान रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान-2023 देते हुए उपराष्ट्रपति ने सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों से बीएसएफ का विस्तार करने और सीमा सुरक्षा बल का समर्थन करने के लिए भी कहा। अलंकरण समारोह में 35 बीएसएफ कर्मियों को सम्मानित किया गया, जिसमें वीरता के लिए दो पुलिस पदक और मेधावी सेवा के लिए 33 पुलिस पदक शामिल थे। कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए बीएसएफ जवानों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनमें से प्रत्येक ने उदात्त प्रतिबद्धता और राष्ट्रवाद को प्रतिबिंबित किया, जिसका हम सभी को अनुकरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “बीएसएफ के बहादुर पुरुष और महिलाएं राष्ट्र की सेवा में साहस, वीरता और समर्पण की मिसाल हैं।”

हार न मानने का जज्बा
बीएसएफ जवानों के कभी हार न मानने वाले जज्बे की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि वे थार के रेगिस्तान, कच्छ के रण, कश्मीर में बर्फ से ढके पहाड़ों और पूर्वोत्तर के घने जंगलों जैसी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी भारत की सीमाओं की रखवाली करते हैं। उन्होंने तमाम कठिनाइयों के बावजूद अपना मनोबल बनाए रखने के लिए बीएसएफ जवानों के परिवारों का भी आभार व्यक्त किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत पहले की तरह बढ़ रहा है और इस वृद्धि में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक हमारी सुरक्षित सीमाएं हैं। केएफ रुस्तम को एक करिश्माई नेता बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने न केवल बीएसएफ की स्थापना की, बल्कि भारतीय न्यायिक प्रणाली में जनहित याचिका की नींव भी रखी। उनके मार्गदर्शन में बीएसएफ एक आधुनिक, अनुशासित और सक्षम बल के रूप में विकसित हुआ।

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एनपीसी का उल्लेख
उपराष्ट्रपति ने रुस्तमजी के 1977 में स्थापित पहले राष्ट्रीय पुलिस आयोग (एनपीसी) के सदस्य होने का स्मरण कराया। धनखड़ ने कहा कि, “एनपीसी की आवश्यकता महसूस की गई, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 1975 में आपातकाल का एक काला युग आया था, जिसने बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन देखा, संस्थानों की पराजय देखी, कुछ ऐसा जिसकी संविधान के निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। बड़ी संख्या में लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया और न्यायपालिका तक उनकी पहुंच नहीं थी।”

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