लद्दाख में पिछले कई महीनों से भारत और चीन के बीच बढ़ रहा तनाव जल्द ही खत्म होने के संकेत मिल रहे हैं। 10 फरवरी को चीन द्वारा इस मामले में आधिकारिक बयान जारी किए जाने के बाद 11 फरवरी को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस खबर पर मुहर लगा दी है। उन्होंने राज्यसभा में बड़ा बयान दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पैंगोंग लेक के उत्तरी और दक्षिणी इलाके में डिसएंगेजमेंट का समझौता हो गया है। अप्रैल 2020 से लेकर अब तक जो भी निर्माण किए गए हैं, उसे तोडा जाएगा। साथ ही भारत और चीन दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘पैगोंग लेक से 48 घंटे के अंदर भारत-चीन की सेनाएं हटेंगी।’
These are mutual and reciprocal steps and any structures that had been built by both sides since April 2020 in both North and South Bank area will be removed and the landforms will be restored: Defence Minister Rajanth Singh in Rajya Sabha
— ANI (@ANI) February 11, 2021
इन स्थानों पर रहेगी सेनाएं
रक्षा मंत्री ने कहा कि समझौते ते तहत चीन पैंगोंग लेक के उत्तरी तट पर फिंगर 8 के पूर्व में अपने सैनिकों को स्थाई रुप से रखेगा, जबकि भारत अपने सैनिकों को फिंगर 3 पर स्थाई रुप से तैनात रखेगा।
#WATCH: Indian Army video of ongoing disengagement process in Ladakh. pic.twitter.com/kXjr0SiPN2
— ANI (@ANI) February 11, 2021
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द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही होंगे बेहतर
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत-चीन ने हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं। साथ ही साथ सीमा के प्रश्न को बातचीत से सुलझाया जा सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि एलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति से हमारी द्विपक्षीय समझौतों पर बुरा असर पड़ सकता है। कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयान में यह जिक्र किया गया है।
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सेना की खुलकर प्रशंसा की
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित किया है कि भरत की संप्रभुता एवें अखंडता की रक्षा के में वे सदैव हर चुनौतियों से लड़ने के लिए तत्पर हैं।
चीन ने जारी किया था आधिकारक बयान
इससे पहले 10 फरवरी को चीन ने आधिकारिक बयान जारी कर इस बारे में जानकारी दी थी। चीन के सीनियर कर्नल वू कियान ने इस बारे में लिखित बयान जारी करते हुए कहा था कि 10 फरवरी से दोनों देश की सेनाएं पीछे लौटने लगी हैं। कर्नल कियान ने कहा कि यह कदम पिछले महीने मोल्डो-चुशुल सीमा के चीनी क्षेत्र में आयोजित कमांडर-स्तर के नौवें दौर की वार्ता में आम सहमति के आधार पर लिया गया है।