Indian Air Force: वायु सेना प्रमुख ने रक्षा परियोजनाओं में देरी पर फिर जताई चिंता, नई तकनीक को लेकर कही ये बात

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Indian Air Force: वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह(Air Force Chief Air Chief Marshal AP Singh) ने ऑपरेशन सिंदूर(Operation Sindoor) को ‘राष्ट्रीय विजय’ बताते हुए एक बार फिर रक्षा परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी(Delay in defense projects) पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि दुनिया की मौजूदा स्थिति ने हमें एहसास दिलाया है कि ‘आत्मनिर्भरता'(Self-reliance) ही एकमात्र समाधान है, हमें अभी से भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। नौसेना प्रमुख ने भी कहा कि युद्ध का स्वरूप बदल रहा( nature of war is changing) है। हर दिन हम नई तकनीकें खोज(Discovery of new technologies) रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने हमें यह स्पष्ट रूप से बताया है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और भविष्य में हमें क्या चाहिए।

वायु सेना और नौसेना के प्रमुख ने 29 मई को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कई तरह की चिंताएं जताईं। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने कहा कि एक ऐसा समय था, जब हमें भारतीय उद्योग पर हमेशा संदेह रहता था इसलिए हम बाहर की ओर अधिक देखते थे लेकिन पिछले एक दशक से अधिक समय में चीजें काफी बदल गई हैं। अब दुनिया की मौजूदा स्थिति ने हमें एहसास दिलाया है कि ‘आत्मनिर्भरता’ ही एकमात्र समाधान है, हमें अभी से भविष्य के लिए तैयार रहना होगा।

वायु सेना प्रमुख ने कहा कि समयसीमा एक बड़ा मुद्दा है। एक भी रक्षा परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई है। इसलिए हमें इस पर गौर करना होगा। अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय हम ऐसा वादा क्यों करें, जो पूरा नहीं हो सकता?

अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय कभी-कभी हमें यकीन होता है कि यह पूरा नहीं होने वाला है, लेकिन हम सिर्फ अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हैं। फिर प्रक्रिया खराब हो जाती है। उन्होंने रक्षा परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी पर गंभीर चिंता जताते हुए अवास्तविक समय सीमा के प्रणालीगत मुद्दे और परिचालन तत्परता पर उनके प्रभाव को उजागर किया। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद सशस्त्र बलों में बढ़ी ‘आत्मनिर्भरता’ का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें भारत में ही डिजाइनिंग और विकास कार्य शुरू करने की आवश्यकता है।

एयर चीफ ने ऑपरेशन सिंदूर को ‘राष्ट्रीय जीत’ के रूप में भी सराहते हुए इस ऑपरेशन की सफलता को सशस्त्र बलों, एजेंसियों और आतंकवाद से निपटने में प्रत्येक भारतीय नागरिक के सामूहिक प्रयासों का प्रमाण बताया। अपने संबोधन के दौरान एयर चीफ मार्शल ने बताया कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमला किया गया था, जिसने उन्नत तकनीकों के एकीकरण के साथ युद्ध की उभरती प्रकृति को प्रदर्शित किया, जिससे भविष्य की रक्षा रणनीतियों के लिए एक स्पष्ट दिशा मिली।

आरएंडडी में अधिक निवेश की जरुरत
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि हम कोई भी ऑपरेशन वायु शक्ति के बिना नहीं कर सकते हैं और इस ऑपरेशन (सिंदूर) के दौरान भी यह बहुत अच्छी तरह से साबित हुआ है। यह संघर्ष पूरे देश के दृष्टिकोण से जीता गया था। रक्षा बलों को सशक्त बनाने की बात करते समय भी यही दृष्टिकोण जारी रहना चाहिए। हमें अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि पंजाबी समुदाय के लोग ‘दसवंध’ नामक एक बात को समझेंगे कि हमारी कमाई का दस प्रतिशत समाज को वापस जाना चाहिए। मुझे लगता है कि हमें इस तरह की कोई पहल करनी चाहिए कि अगर मैं इतना कमा रहा हूं तो कुछ पैसा आरएंडडी, राष्ट्र की रक्षा पर खर्च होना चाहिए।

बदल रहा है युद्ध का स्वरूप
इसी मंच से नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। हर दिन, हम नई तकनीकें खोज रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने हमें यह स्पष्ट रूप से बताया है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और भविष्य में हमें क्या चाहिए। इसलिए अपनी स्वयं की विचार प्रक्रिया को पुनः संरेखित करने के लिए बहुत काम करने की आवश्यकता है, जो पहले से ही चल रही है। भविष्य में भी हम एक राष्ट्र के रूप में माल वितरित करने में सक्षम होंगे और हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) को निजी उद्योग की भागीदारी के लिए भी मंजूरी दे दी गई है, जो एक बहुत बड़ा कदम है।

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युद्ध और शांति के बीच की रेखाएं तेजी से हो रही है धुंधली
उन्होंने कहा कि यह उस तरह का विश्वास है, जो आज देश को निजी उद्योग पर है। मुझे यकीन है कि इससे भविष्य में आने वाली बड़ी चीजों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि युद्ध का चरित्र तेजी से बदला है और ऐसा होता रहेगा। सबसे पहले, युद्ध और शांति के बीच की रेखाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं। हम यह भी जानते हैं कि आतंकी कृत्यों जैसे गैर-पारंपरिक खतरे व्यापक संघर्ष में बदल सकते हैं। बिना युद्ध विराम के संघर्ष छेड़ने के लिए अंतरिक्ष और साइबर डोमेन के साथ-साथ गैर-संपर्क युद्ध का उपयोग एक नई वास्तविकता है।

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