संसद पर हमले की 20वीं बरसी! जानें, कैसे सुरक्षा रक्षकों ने पांचों आतंकियों को किया था ढेर

शीतकालीन सत्र के कारण कई सांसदों की गाड़ियों का आनाजाना हो रहा था। इसलिए आतंकियों की कार आने पर किसी को शक नहीं हुआ।

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13 दिसंबर 2001, भारत के इतिहाल का वो काला दिन है, जिस दिन आतंकियो ने लोकतंत्र के मंदिर संसद पर हमला करने की जुर्रत की थी। इस हमले ने देश को जो जख्म दिया है, वह लंबे समय तक सालता रहा। हमले के दौरान संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था।

गृह मंत्रालय का स्टीकर लगी एक अंबेसडर कार संसद परिसर में घुस आई थी। उस समय संसद के दोनों सदन कुछ समय के लिए स्थगित थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद से बाहर चले गए थे। लेकिन उस समय के उपमुख्यमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 लोग संसद भवन में उपस्थित थे।

 इसलिए किसी को नहीं हुआ शक
शीतकालीन सत्र के कारण कई सांसदों की गाड़ियों का आनाजाना हो रहा था। इसलिए आतंकियों की कार आने पर किसी को शक नहीं हुआ। उस कार में भारी मात्रा में आरडीएक्स था। उस समय गेट नंबर 11 से उपराष्ट्रपति बाहर निकलने वाले थे। इसलिए बाहर गाड़ियों का काफिला उनका इंतजार कर रहा था।

खतरनाक हथियारों से थे लैस
उसी दौरान सफेद अंबेसडर गेट नंबर 11 की ओर आने लगी। सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोका तो उसमें बैठे आंतकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। आतंकियों के पास एके-47, ग्रेनेड लॉन्चर और ग्रेनेड जैसे खतरनाक हथियार थे। सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी और दोनों ओर से गोलीबारी शुरू हो गई। यह गोलीबारी करीब ४५ मिनटतक चलती रही।

इस तरह किए गए आतंकी किए गए ढेर
इस बीच सुरक्षाबलों ने पांचों आतंकियों को ढेर कर दिया था और संसद परिसर में उपस्थित मंत्रियों और सांसदों को बचा लिया था। लेकिन इस हमले में पांच आतंकियों के साथ ही 14 लोग भी हुतात्मा हुए थे। इनमें कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव, संसद का एक माली, संसद भवन में सुरक्षा सेवा के दो कर्मचारी और दिल्ली पुलिस के छह जवान हुतात्मा हो गए थे।

हमले के बाद की कार्रवाई
इस मामले में 15 दिसंबर 2001 को दिल्ल पुलिस ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर से गिरफ्तार किया। इसके साथ ही शक के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के एसएआर गिलानी से पूछताछ की गई। उसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद अफसान गुरु और उसके पति शौकत हुसैन गुरू को भी गिरफ्तार किया गया

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न्यायालय की कार्रवाई

  • 18 दिसंबर 2002 को गिलानी, शौकत हुसैन गुरु और अफजल गुरू को फांसी की सजा  सुनाई गई, जबकि अफसान गुरु को बरी कर दिया गया।
  • 30 अगस्त 2003 को श्रीनगर में बीएसएफ के साथ मुठभेड़ में संसद हमले का मुख्य आरोपी जैश-ए-मोहम्मद का नेता गाजी बाबा ढेर कर दिया गया।
  • 29 अक्टूबर 2003 को एसएआर गिलानी बरी कर दिया गया।
  • 4 अगस्त 2005 को सर्वोच्च न्यायालय ने अफजल गुरू को मौत की सजा पर मुहर लगा दी।
  • शौकत हुसैन गुरु की मौत की सजा को बदलकर 10 साल सश्रम कारावास में बदल दिया।
  • 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में अफजल गुरू को फांसी दे दी गई।

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