अबकी बार देसी वॉर… दुश्मन ड्रोन पर गृह मंत्री का बड़ा बयान

सीमा सुरक्षा बल की शुरुआत 1965 की लड़ाई के बाद सीमावर्ती क्षेत्र के राज्यों की 25 बटालियनों के साथ एक बीज के रूप में हुई थी, जो आज एक विशाल वटवृक्ष के रूप में देश को सुरक्षा मुहैया करा रहा है।

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भारत में ड्रोन से हमले के प्रयत्नों पर बड़ा निर्णय सरकार ने लिया है। इस संदर्भ में केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि अब विदेशी ड्रोन द्वारा किये जा रहे षड्यंत्र पर स्वदेशी तकनीकी से उत्तर दिया जाएगा। इसके लिए रक्षा अनुसंधान विकास परिषद कार्य कर रहा है।

सीमा सुरक्षा बल के अलंकरण समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, रक्षा अनुसंधान विकास परिषद (डीआरडीओ) को सरकार द्वारा सभी आवश्यक अनुमतियां दे दी गई हैं। स्वदेशी तकनीकी से विदेशी ड्रोन को गिराने की तकनीकी पर कार्य हो रहा है और शीघ्र ही यह उपलब्ध हो जाएंगे।

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गृह मंत्री अमित शाह के भाषण की प्रमुख बातें

सीमा सुरक्षा बल के पहले महानिदेशक के एफ रुस्तमजी को श्रद्धांजलि देते हुए अमित शाह ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल और देश के अन्य अर्ध सैनिक बलों के कारण ही भारत विश्व के नक्शे पर अपनी गौरवमयी उपस्थिति दर्ज करा पा रहा है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उन बलिदानियों, वीरों और योद्धाओं को कभी भुलाया नहीं जा सकता जो आज भी, चाहे – 45 डिग्री तापमान हो या 45 डिग्री की गर्मी हो, चाहे लद्दाख की सीमाएं हों या रेगिस्तान की गर्मी हो, चाहे पूर्वी सीमा में नदी-नाले, जंगल, पहाड़ हों, बीएसएफ़ और हमारी सारी पैरामिलिट्री फोर्सेस, सीमा सुरक्षा के काम में लगी हैं।

वन बॉर्डर, वन फोर्स पर कार्य
अमित शाह ने कहा कि लंबे समय से ही हम हमेशा एक विकट परिस्थिति में रहे कि लगभग 7,516 किलोमीटर की तटीय सीमा और 15 हजार किलोमीटर से लंबी भूमि सीमा से हमारे देश को आगे बढ़ना पड़ा और उसी वक्त जरूरत थी कि सीमा सुरक्षा पर ध्यान देकर इसकी संरचना की जाए, लेकिन लंबे अरसे तक इस पर समग्र रूप से विचार नहीं हुआ। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तब इसे गति देने का काम हुआ। अटल जी की सरकार में पहली बार ‘वन बॉर्डर, वन फोर्स’ के सिद्धांत को स्वीकार किया गया और इसका एक स्ट्रक्चर्ड खाका शुरू हुआ और सबकी ज़िम्मेदारी तय हुई।

संसाधन विकास

  • केन्द्रीय गृह मंत्री ने कि मोदी सरकार ने सीमाओं पर इन्फ़्रास्ट्रक्चर के काम को प्राथमिकता से लिया। यदि तुलनात्मक रूप से देखें तो वर्ष 2008 से 2014 तक 3,610 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ जबकि, वर्ष 2014 से 2020 तक 4,764 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ। इसी प्रकार सड़क निर्माण का बजट 2008-2014 के दौरान 23,000 करोड़ रूपए से बढ़कर 2014-20 के दौरान लगभग 44,000 करोड़ रूपए हो गया।
  • अमित शाह ने कहा वर्ष 2008 से 2014 के दौरान 7,270 मीटर लंबे पुलों का निर्माण हुआ जबकि वर्ष 2014 से 2020 के दौरान ये दोगुना होकर 14,450 मीटर हो गया। वर्ष 2008-14 के दौरान मात्र एक सुरंग का निर्माण हुआ जबकि वर्ष 2014-2020 के बीच छह नई सुरंगें बन चुकी हैं और 19 अन्य पर निर्माण कार्य जारी है।
  • उन्होंने ये विश्वास दिलाया कि वर्ष 2022 से पहले सीमा पर फेंसिंग में कोई गैप नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि ये तीन प्रतिशत गैप ही घुसपैठ के लिए संभावनाएं छोड़ता है और 97 प्रतिशत फेन्सिंग को बेकार कर देता है।

ड्रोन का पता लगाना और तबाही जल्द
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल ने कई सुरंगों का पता लगाकर उनका वैज्ञानिक एनालिसिस करके एक बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि ड्रोन के बढ़ते खतरे के खिलाफ हमारी मुहिम आज बहुत महत्वपूर्ण है और इसे कम करने के लिए डीआरडीओ और अन्य एजेंसियां स्वदेशी तकनीक पर काम कर रही हैं और जल्द ही ड्रोन विरोधी स्वदेशी प्रणाली के साथ सीमाओं पर तैनाती बढ़ेगी।

ये हैं उपलब्धियां
सुरक्षा बलों की उपलब्धियों का पर बोलते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने बताया कि,

  • 15 अरब रूपए के नारकोटिक्स पकड़े हैं,
  • 4.5 करोड़ रूपए के सोना-चांदी को पकड़ा है
  • 15 आतंकियों को मार गिराया है
  • 2000 आतंकियों और घुसपैठियों को पकड़ा

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इन खतरों से निपटना प्राथमिकता

  • भविष्य में सीमापार से आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स तकनीक के इस्तेमाल के खतरे के प्रति भी आगाह किया और इसके खिलाफ एक दीर्घकालिक योजना बनाने की ज़रूरत पर बल दिया। सुरक्षा बलों ने नक्सलविरोधी अभियान में भी बहुत अच्छा काम किया है।
  • अमित शाह ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डिटेक्ट करना, सुरंगों का पता लगाना, पोर्टेबल एनक्रिप्टेड सामरिक मोबाइल संचार, एंटी-ड्रोन तकनीक जैसे विषयों पर एक सीरीज आफ हैकाथॉन से फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा के बारे में सभी जरूरी चीजों और तकनीक के बारे में हम आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं और हैकाथॉन सीरीज से इसमें भी फायदा मिलेगा।
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