शी जिनपिंग को मौत बांटना पड़ेगा मंहगा, तख्तापलट की तैयारी

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नई दिल्ली। चालबाज चीन अबतक भारत समेत दुनिया भर के देशों को धोखा देता आया है। लेकिन अब राष्ट्रपित शी जिनपिंग की कम्यूनिस्ट पार्टी के अंदर ही उनके खिलाफ गुटबाजी किए जाने की खबर है। इसके साथ ही चीनी सेना भी मौके का फायदा उठाते हुए विरोधी खेमे को समर्थन कर सकती है। इस वजह से पूरे विश्व में बाहुबली बनने का जिनपिंग का सपना टूट सकता है।
शी जीनपिंग को इस बारे में पूरी जानकारी है और उन्हें अब अपनी कुर्सी की चिंता सताने लगी है। हालांकि काफी पहले से ही विरोधी गुट पर काबू पाने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन जब से भारत के साथ ही अमेरिका और रुस आदि देशों से चीन का विवाद बढ़ा है, तबसे विरोधी गुट ज्यादा सक्रिय हो गया है। इसके साथ ही कोविड-19 को लेकर जिनपिंग द्वारा अपनाई गई रणनीति की भी उनके पार्टी के कई नेता आलोचना कर रहे हैं।
दुनिया से दुश्मनी
दुनिया भर में मौत बांटनेवाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की स्थिति काफी कमजोर हो गई है और उन्हें हटाए जाने का डर लगने लगा है। बताया जा रहा है कि उनपर पार्टी की ओर से राष्ट्रपति की कुर्सी छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है। कोविड-19 वायरस को लेकर लगातर सच्चाई छिपाने और सफेद झूठ बोलकर दुनिया को धोखे में रखने के कारण विश्व के 137 देश चीन के साथ ही डब्ल्यूएचओ के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं, जिनमें अमेरिका, रुस आदि के साथ भारत भी शामिल है। वास्तव में देखा जाए, तो कोरोना वायरस के बाद चीन की ज्यादातर सीमाओं पर भी तनाव बढ़ा है और विश्न भर के ज्यादातर देश उसके दुश्मन बन गए हैं। चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी इसे जिनपिंग की गलत रणनीति का परिणाम मानती है।
कोविड-19 की जांच शुरू
कोविड -19 की उत्पति और प्रसार में चीन की भूमिका की जांच वैश्विक कमेटी द्वारा शुरू कर दी गई है। यह जांच विश्व के 137 देशों की मांग पर की जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से इन देशों ने वुहान से कोविड-19 वायरस के फैलने को लेकर दुनिया को गुमराह करने की जांच की मांग की थी। उसके बाद एक स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी के प्रमुख न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क और लाइबेलिया के पूर्व राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ हैं। कमेटी की जांच रिपोर्ट नंवबर महीने में आनेवाली है। जिसके बाद चीन के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
जनवरी 2022 तक जानकारी छिपाना चाहता था चीन
जानकारों का कहना है कि कोरोना मामले में दुनिया को भले ही जनवरी में जानकारी मिल गई लेकिन चीन इसे अपनी गलत मानसिकता के कारण वर्ष 2022 तक छिपाकर रखना चाहता था। उनका दावा है कि चीन में यह वायरस 2019 के सितंबर-अक्टूबर में ही फैलने लगा था और चीन को यह मालूम था कि यह वायरस बेहद खतरनाक है। लेकिन उसने इस मामले में पूरी दुनिया के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी धोखे में रखकर अपनी इमेज खराब होने से बचाने की कोशिश की। लेकिन ये वायरस इतनी तेजी से और खतरनाक तरीके से फैलने लगा कि उसके लिए यह जानकारी छिपाए रखना असंभव हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस महामारी ने न सिर्फ लोगों की जानें लीं बल्कि तमाम देशों की अर्थव्यवस्था भी तबाह हो गई।
विरोधी गुट को मिला मौका
कोविड-19 और सीमाओं पर बढ़ते तनाव से उनकी पार्टी के विरोधियों को उनके खिलाफ बोलने और दुष्प्रचार करने का बड़ा मौका मिल गया है। वे इस मौके को हाथ से जाने देना नहीं चाहते। पार्टी के ग्राउंड लेवल के कार्यकर्ता भी जिनपिंग से नाराज हैं। उनका आरोप है कि काम तो हम करते हैं लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को ही पार्टी में अहमियत दी जाती है। खबर है कि जिनपिंग के विरोधी गुट ने उनके खिलाफ अभियान चला रखा है और वह उन्हें हटाने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहा है।
जिनपिंग का पहले से ही होता रहा है विरोध
दरअस्ल कम्यूनिस्ट पार्टी में जिनपिंग के आने से दो दशक पहले तक वहां के सबसे शक्तिशाली खेमा जियांग गठबंधन का हुआ करता था। इस संगठन का नाम पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन के नाम पर रखा गया था। ये जिनपिंग के परमानैंट प्रेसीडेंट रहने के पहले से खिलाफ है। इस वजह से 2012 में सत्ता में आने के समय से ही जिनपिंग इसके साथ भेदभाव की नीति अपनाते आ रहे हैं। सच तो यह है कि उनके विरोधियों को जीनपिंग द्वारा खुद को सु्प्रीम लीडर घोषित किया जाना भी पसंद नहीं आया था। 2018 में उन्होंने राष्ट्रपति की अधिकतम सीमा समाप्त होने के बाद खुद को सुप्रीम लीडर घोषित कर लिया था। उन्होंने ऐसा विरोधियों द्वार तख्तापलट किए जाने के डर के कारण ही किया था।
विरोधियों को दबाने की जीतोड़ कोशिश
शी जिनपिंग की पूरी कोशिश है कि वे किसी भी कीमत को अपने खिलाफ उठनेवाली आवाज को दबा दें। इसलिए उन्होंने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं और पुलिस,जज तथा सिक्योरिटी एजेंट की आजादी को समाप्त कर उन्हें सिर्फ अपने प्रति जबावदेह होने की अघोषित नीति अपना रखी है।
दरअस्ल 2022 में होनेवाले नेशनल कांग्रेस से पहले वे देश के सुरक्षातंतत्र को शक्तिशाली बनाना चाहते हैं। जिन अधिकारियों से जिनपिंग नाखुश रहते हैं, उन्हें उनके इशारे पर माओ स्टाइल में सजा दी जाती है। इसके लिए जिनपिंग के खासमखास शेन यिशिन ने एक अभियान चलाया था। इसका मकसद यही पता करना था कि कौन-कौन पार्टी के पदाधिकारी जिनपिंग के प्रति वफादार नहीं हैं। ऐसे कई पदाधिकारियों को सबक भी सिखाया गया था।

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