ऐसे कैसी ‘ममता’? मिस मुख्यमंत्री को नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म का प्रमाण चाहिए, न्यायालय ने दे दिया ऐसा आदेश

ममता बनर्जी के राज्य में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। स्थानीय पुलिस पर सरकार के मातहत काम करने का आरोप लग रहा ह। जिसके कारण महत्वपूर्ण प्रकरणों की जांच न्यायालय के आदेश के कारण सीबीआई को सौंपी जा रही हैं।

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पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा हिंसा और दुष्कर्म की घटनाओं पर पर्दा डालने का काम खुलेआम चल रहा है। नादिया में 14 वर्षीय छात्रा के सामूहिक दुष्कर्म और मौत के प्रकरण में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुलिस से प्रमाण मांगे हैं। इस बीच पुलिस की कार्रवाई अपर्याप्त देखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जांच सीबीआई को सौंप दी है।

यह प्रकरण 4 अप्रैल का है, आरोप है कि, नदिया जिले के हंसखाली में सोहेल उर्फ ब्रज गवाली ने नाबालिग को बर्थडे पार्टी में बुलाकर उससे सामूहिक दुष्कर्म किया था, जिसके बाद रक्तस्राव की वजह से उसकी मौत हो गई। इस प्रकरण में बुधवार से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच शुरू कर दी है। मंगलवार देर शाम कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने न्यायालय की निगरानी में मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

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मिस मुख्यमंत्री को प्रमाण चाहिए
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व बंग मेला के उद्घाटन के अवसर पर पूछा है कि, पुलिस को अभी तक मौत का कारण समझ में नहीं आया है। मैंने उनसे पूछा कि, क्या आप इसे बलात्कार कहेंगे या वह गर्भवती थी? क्या इसका कारण प्रेम प्रसंग था? क्या आपने इसकी पूछताछ की? ममता बनर्जी यहीं नहीं रुकीं उन्होंने, पीड़ित बच्ची के परिवार से पूछा… आपने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। मैं एक आम आदमी के रूप में बात कर रही हूं। पुलिस को सबूत कहां से मिलेगा कि, उसके साथ बलात्कार किया गया था या वह गर्भवती थी या कोई अन्य कारण था?

न्यायालय ने इसलिए सीबीआई को सौंपी जांच
न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की थी। न्यायालय ने कहा कि निष्पक्ष जांच और पीड़ित परिवार तथा राज्य वासियों का विश्वास अक्षुण्ण रखने के लिए जांच सीबीआई को सौंपी जा रही है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पुलिस जांच में अभी तक जो कुछ भी तथ्य मिले हैं उन्हें सीबीआई को सौंपना होगा।

अदालत ने कहा कि पुलिस की केस डायरी और न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से जो बयान दिया गया है, दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने बताया था कि पीड़िता को किसी भी श्मशान घाट में जलाया नहीं गया और मृतका का मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं बनवाया गया। दूसरी ओर केस डायरी में लिखा गया है कि श्यामनगर-अतीरपुर श्मशान घाट में बच्ची का अंतिम संस्कार हुआ है। आखिर राज्य सरकार इतने गंभीर मामलों में इतना हल्का रुख कैसे अख्तियार कर सकती है। दुष्कर्म के आरोपित प्रभावशाली लोग हैं इसलिए मामले की जांच सीबीआई करेगी।

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