महाराष्ट्र में लगेगा राष्ट्रपति शासन? चार राज्यों में जीत के बाद बढ़ा भाजपा का आक्रमण

मुंबई में शिवसेना के लिए अपने मूल और सहायक वोट बैंक को बरकार रखना बड़ी चुनौती है। लगातार पांच टर्म से महानगरपालिका पर शिवसेना का कब्जा है।

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पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ गए हैं। ये परिणाम वैसे ही हैं, जैसा जानकारों को उम्मीद थी। केवल पंजाब में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत और कांग्रेस की शर्मनाक हार की उम्मीद नहीं की जा रही थी। हालांकि वहां आप की जीत का अनुमान था, लेकिन ऐसी जीत जो भाजपा को भी बेचैन कर दे, की उम्मीद नहीं ही थी।

इन पांच राज्यों में आए परिणामों का देश की राजनीति के साथ ही प्रदेशों के राजनीति पर भी असर पड़ना निश्चित है। दूसरे प्रदेशों में तो अभी चुनाव आने में समय है लेकिन महाराष्ट्र की महत्वपूर्ण मुंबई, पुणे, ठाणे, केडीएमसी और वसई-विरार समेत कई महानगरपालिकाओं में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं। इनमें मुंबई महानरपालिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन चुनावों परिणामों के कारण इस चुनाव को प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

इन चुनाव परिणामों का सबसे अधिक असर महाराष्ट्र की राजनीति पर ही पड़ने की बात कही जा रही है। इसका कारण यह है कि गोवा में भाजपा की धमाकेदार जीत और शिवसेना, कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई है। गोवा में जीत से महाराष्ट्र के भाजपा नेता काफी उत्साहित हैं और उसका असर अभी से दिखना शुरू हो गया है।

चार राज्यों में भाजपा के परचम लहराने के बाद से ही महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं में जोश और उत्साह देखा जा रहा है। उनका मनोबल आसमान पर है। महाराष्ट्र विधानमंडल के चल रहे बजट सत्र में भी सरकार को घेरने का उनका अंदाज बदला हुआ दिखा। वहीं सरकार में शामिल शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस का मनोबल गिरा हुआ दिख रहा है।

मुंबई, ठाणे और कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका में बड़ी संख्या में हिंदीभाषी रहते हैं। वे भाजपा को शिवसेना के विकल्प के तौर पर चुन सकते हैं। इस स्थिति में भाजपा को भारी जीत मिल सकती है।

इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी पहले से ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करती आ रही है। अब वह प्रदेश में ऐसी स्थिति पैदा कर सकती है, कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए। इसके लिए मंत्रियों के भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे को जोरशोर से उठा सकती है। वर्तमान में प्रदेश के एक मंत्री नवाब मलिक और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख जेल की हवा खा रहे हैं।

महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल पार्टियों को यह डर पहले से ही सताता रहा है और वे बार-बार इस तरह के आरोप भी लगाते रहे हैं। अब उनका यह डर सच साबित हो सकता है।

इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी शिवसेना और राकांपा के असंतुष्ट नेताओं को तोड़ने की कोशिश कर सकती है। हालांकि एमवीए के पास पर्याप्त संख्या बल है और तीनों पार्टियों की सरकार में बने रहना उनकी मजबूरी है। इस स्थिति में भाजपा के पास एक ही रास्ता बचता है। भाजपा किसी मुद्दे पर सरकार को घेरकर राष्ट्रपति शासन लगवा सकती है और फिर मध्यावधि चुनाव में जीतकर सत्ता में वापसी कर सकती है।

हालांकि शिवसेना के लिए गोवा को छोड़कर अन्य प्रदेशों के परिणाम अनुमान के अनुसार ही हैं। केवल गोवा में उसे कांग्रेस के सत्ता में आने की उम्मीद थी। इसका कारण यह है कि गोवा में कैथोलिक लोगों की संख्या काफी अधिक है। उनके द्वारा कांग्रेस के विकल्प के तौर पर चुने जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हो न सका।

विपक्ष भाजपा की इस प्रचंड जीत का श्रेय मोदी लहर को देता है। वे मानते हैं कि मोदी के मुकाबने उनके पास कोई नेता नहीं है। इसके साथ ही वे सही रणनीति का भी अभाव मानते हैं।

शिवसेना के लिए अपने मूल और सहायक वोट बैंक को बरकार रखना बड़ी चुनौती है। लगातार पांच टर्म से महानगरपालिका पर शिवसेना का कब्जा है। वर्ष 1997 से शिवसेना लगतार मनपा में सत्तासीन है। लेकिन अगला चुनाव जीतना उसके लिए आसान नहीं है।

हालांकि शरद पवार ने दावा किया है कि महाराष्ट्र पर इस चुनाव परिणाम का कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यहां की सरकार जनता के हित में अच्छा काम कर रही है। उनके साथ ही शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी दावा किया है कि गोवा चुनाव के परिणाम का महाराष्ट्र की एमवीए सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा कर दी है कि पार्टी का अगला लक्ष्य मुंबई मनपा चुनाव ही है। उन्होंने कहा है कि अब हमारा लक्ष्य मुंबई को भ्रष्टाचार मुक्त करना है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया है कि 2024 में महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन निश्चित है।

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