महाराष्ट्रः शरद पवार के ड्रावर से वो सूची किसने चुराई? चंद्रकांत पाटील ने दागा सवाल

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। पाटील ने उन पर शरद पवार के ड्रावर से 54 विधायकों के सिग्नेचर वाली सूची चुराने का आरोप लगया है।

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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील और उपमुख्यमंत्री अजित पवार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। 6 जून की सुबह अजित पवार द्वारा चंद्रकांत पाटील पर निशाना साधने के बाद पाटील ने उन पर जोरदार हमला बोला है।

बता दें कि अजित पवार ने कहा था कि चंद्रकांत पाटील हर दिन बोलते हैं कि महाविकास आघाड़ी सरकार गिरनेवाली है। लेकिन मैं भी हर सुबह जब उठता हूं तो टीवी पर देखता हूं कि सरकार गिरने की खबर कहीं आ रही है क्या? पवार ने दावा किया कि जब तक तीन पार्टियां साथ हैं, तब तक इस सरकार को कोई माई का लाल नहीं गिरा सकता।

पाटील ने ऐसे किया हमला
पाटील ने कहा कि शरद पवार के ड्रावर से 54 विधायकों के सिग्नेचर वाली सूची चुराना नैतिक है या अनैतिक है?पाटील ने यह सवाल दागते हुए 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद के घटनाक्रम को लेकर अजित पवार पर निशाना साधा। चंद्रकांत पाटिल ने पुणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा कि अजित दादा ने मुझे मनाने का प्रयास किया। उनकी बातों से घमंड झलकता है।

शरद पवार के खिलाफ जाकर किया था भाजपा का समर्थन
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस चुनाव के बाद अजित पवार ने नाटकीय अंदाज में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बनाई थी। शरद पवार के खिलाफ जाकर अजित पवार ने भाजपा को समर्थन दिया था। उस समय अजित पवार ने कहा था कि मेरे पास विधायकों के सिग्नेचर वाला पत्र है।

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आरक्षण रद्द किए जाने के लिए उद्धव सरकार जिम्मेदार
चंद्रकांत पाटील ने इस प्रेस कॉनफ्रेंस में मराठा आरक्षण को लेकर भी महाविकास आघाड़ी सरकार के साथ ही जूनियर पवार पर भी निशाना साधा। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मराठा आरक्षण रद्द किए जाने के लिए उद्धव सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

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संभाजी राजे के निर्णय का समर्थन
चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मराठा आरक्षण के संदर्भ में भाजपा सांसद संभाजी राजे के आंदोलन के निर्णय का मैं स्वागत करता हूं। मैं भी भाजपा का झंडा लिए बिना आंदोलन में शामिल होऊंगा। क्योंकि पार्टी का झंडा लेकर आंदोलन में गया तो इसमें राजनीतिक रंग देखा जा सकता है। बता दें कि संभाजी राजे ने मराठा आंदोलन को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है और 16 जून को उन्होंने आंदोलन करने की घोषणा की है।

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