पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के काफी दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी भी वहां से प्री और पोस्ट पोल हिंसा को लेकर हौरतअंगेज खबरें आ रही हैं। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव देश की राजनीति में काले इतिहास के रूप में दर्ज होगा। चुनाव के परिणाम आने के बाद वहां अगले दो दिनों तक तृणमूल कांग्रेस पार्टी का उन्माद देखने को मिला। इन दो दिनों में आगजनी, बलात्कार और हत्या की घटनाएं चरम पर पहुंच गईं। इसे देखते हुए वहां के राज्यपाल और भाजपा नेता बंगाल मे राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे थे। इससे पहले 2-5 मई के बीच मतगणना के चार दिन बाद पश्चिम बंगाल में सबसे भीषण हिंसा हुई। इस दौरान कुल 15,000 दंगे हुए। ऐसे में सवाल उठता है कि वहां चुनाव हुआ कैसे?
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विधानसभा चुनाव के बाद चार दिनों में पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। यह एनजीओ ‘कॉल फॉर जस्टिस’ की रिपोर्ट है। इसके लिए संगठन ने उच्चाधिकारियों की एक कमेटी का गठन किया था। समिति की अध्यक्षता सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) प्रमोद कोहली, केरल के पूर्व मुख्य सचिव आनंद बोस, झारखंड की पूर्व पुलिस महानिदेशक निर्मल कौर, आईसीएसआई के पूर्व अध्यक्ष निसार अहमद और कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव मदन गोपाल ने की।
रिपोर्ट कहती है रिपोर्ट?
- इस रिपोर्ट के लिए समाचार पत्रों, समाचार चैनलों और अन्य मीडिया में आईं हिंसक घटनाओं का अध्ययन किया गया।
- भीड़ ने घरों, दुकानों, वाहनों को क्षतिग्रस्त किया, दुकानों को लूट लिया, बलात्कार किया, हत्या कर दी और चल तथा अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
- यह हिंसा एक खास पार्टी के समर्थकों, मतदाताओं, नेताओं और पदाधिकारियों के साथ क गई।
- 2 से 5 मई के बीच महिलाओं समेत 25 लोगों की मौत हो गई।
- 15,000 से अधिक दंगों को अंजाम दिया गया।
- 7,000 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।
- हिंसा ने राज्य के 26 में से 15 जिलों को प्रभावित किया।
- हिंसा के डर से बड़ी संख्या में लोग असम, झारखंड और ओडिशा भाग गए।
- हिंसा को अंजाम देने वाले कुख्यात गुंडों को सत्ताधारी दल ने संरक्षण दिया था।
- एक विशेष पार्टी पार्टी के बूथ एजेंटों, कार्यालय कार्यकर्ताओं, मतदाताओं और पार्टी समर्थकों पर हमले किए गए।