दीदी को नंदीग्राम क्यों भाया?

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्टी छोड़कर जानेवालों से परेशान हैं। कई नेता पिछले दिनों में टीएमसी छोड़कर जा चुके हैं। जबकि नंदीग्राम को लेकर टीएमसी की कई कहानियां जुड़ी हुई हैं।

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पश्चिम बंगाल में तृणमूल की जमीन जमानेवाले नंदीग्राम में इस बार हैविवेट मुकाबला देखने को मिलेगा। मुख्यमंत्री ने यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इससे भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के प्रतिद्वंदियों के मध्य कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। इस मुकाबले से यह प्रश्न भी खड़ा हुआ है कि आखिर नंदीग्राम दीदी के लिए क्यों इतना विशेष है।

वैसे नंदीग्राम में इस बार लोगों को चुनना है ममता या शुवेंदू? शुवेंदु अधिकारी यहां से टीएमसी के विधायक थे और सरकार के मंत्री थे लेकिन वे दिसंबर 2019 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए। इसके बाद ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए प्रतिष्ठा की सीट माने जानेवाले नंदीग्राम से कौन चुनाव मैदान में उतरेगा ये प्रश्न उठ रहा था।

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नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वे यहां से विधानसभा चुनाव लडे़ंगी। वैसे इस क्षेत्र में पूर्व टीएमसी नेता और वर्तमान भाजपा नेता शुवेंदु अधिकारी का बड़ा प्रभाव है। इस सीट से 2016 के चुनाव में शुवेंदु अधिकारी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद वे ममता बनर्जी के करीबियों में गिने जाते थे। लेकिन नंदीग्राम ममता बनर्जी के लिए भी विशेष है।

नंदीग्राम क्यों है विशेष?

नंदीग्राम की विशेषता ये है कि यहां से 2007 में ममता बनर्जी ने नंदीग्राम आंदोलन शुरू किया था। यह आंदोलन एक इंडोनेशियाई रसायन कंपनी के लिए किये जानेवाले भूमि अधिग्रहण के विरोध में था। इसमें ‘भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी’ का गठन करके आंदोलन किया गया था जिसमें ममता बनर्जी के नेतृत्व में शुवेंदु अधिकारी ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन में पुलिस और मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के कैडरों के बीच रक्त रंजित संघर्ष हुआ। आंदोलन को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने गोली चलाई जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए। इसने आंदोलन को उग्र कर दिया। नंदीग्राम और हुगली जिले के सिंगूर में हुए आंदोलन के आगे वाम मोर्चा सरकार झुक गई और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का उदय हो हुआ। उसने वाम मोर्चा की 34 वर्षों की सत्ता को उखाड़कर फेंक दिया।

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कहां-कहां से लड़ेंगी ममता?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दो विधानसभा से चुनाव लड़ेंगी। जिसमें एक नंदीग्राम है तो दूसरा कोलकाता की भवानीपुर विधान सभा सीट है।

अधिकारी परिवार का वर्चस्व

शुवेंदु अधिकारी पूर्वी मिदनापुर जिले के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से हैं। उनके पिता शिशिर अधिकारी 1982 में कांग्रेस की ओर से कांथी दक्षिण लोकसभा सीट से सांसद थे। मनमोहन सिंह की सरकार में वे ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रहे हैं। वे वर्तमान में तुमलुक लोकसभा सीट से सांसद हैं। सौमेंदु कांथी नगरपालिका के अध्यक्ष थे लेकिन उन्हें टीएमसी ने हटा दिया तो उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके अलावा शुवेंदु के भाई दिव्येंदु कांथी लोकसभा सीट से सांसद हैं। माना जाता है कि अधिकारी परिवार का प्रभाव पूर्वी मिदनापुर में पड़नेवाली सभी 16 विधानसभा और पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया के लगभग 5 दर्जन विधानसभा सीटों पर है।

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