पश्चिम बंगालः जोश में होश खोते नेताओं पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजर

पश्चिम बंगाल में चुनावी सभाओं और रैलियों में जोश में नेताओं के बोल बिगड़ रहे हैं, जिससे उन पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजर पड़ रही है।

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पश्चिम बंगाल में अब तक चार चरण में मतदान कराए गए हैं, जबकि चार चरणों में मतदान अभी भी कराए जाने हैं। इस बीच सभी पार्टियों का चुनाव प्रचार चरम पर है। चुनावी सभाओं और रैलियों में जोश में नेताओं के बोल बिगड़ रहे हैं, जिससे उन पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजर पड़ रही है। अभी तक तृणमूल कांग्रेस पार्टी के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के कई नेता चुनाव आयोग की चपेट में आ चुके हैं।

अबतक जिन नेताओं पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजर पड़ी है, उनमेंं टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के साथ ही प्रदेश के पूर्व भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, नंदीग्राम विधान सभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार सुवेंदु अधिकरी आदि शामिल हैं।

ममता बनर्जी
चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग का सबसे पहला शिकार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी हुईं। आयोग ने उन पर 24 घंटे का बैन लगा दिया था। इस दौरान वे चुनाव प्रचार नहीं कर पाईं। मुसलानों से वोट न बंटने देने की उनकी अपील और महिलाओं को सुरक्षाबलों का घेराव करने की सलाह को लेकर यह कार्रवाई की गई।

ममता ने धरना देकर किया विरोध
ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग के इस निर्णय को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बतते हुए इसके विरोध में धरना दिया। वे 13 अप्रैल को 12 बजे से कोलकाता, गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठी थीं।

चुनाव आयोग ने थमाए थे दो नोटिस
बता दें कि मुसलमानों से वोट न बंटने देने की उनकी अपील और सुरक्षाबलों के महिलाओं के घेराव करने की सलाह देने को लेकर चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी को दो नोटिस जारी किए थे। उनके जवाब से अंसतुष्ट आयोग ने आखिर उन पर 24 घंटे का बैन लगा दिया था।

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आयोग ने दी सलाह
यह बैन 12 अप्रैल रात 8 बजे लगाया गया और 13 अप्रैल रात 8 बजे तक लागू रहा। इस बीच वे किसी भी तरह का चुनाव प्रचार नहीं कर पाईं। चुनाव आयोग ने इस कार्रवाई के साथ उन्हें सलाह दी कि आगे वे इस तरह के बयान न दें। आयोग ने उनके बयानों की आलोचना करते हुए कहा था कि इस तरह के बयान से प्रदेश की कानून-व्यवस्था खराब होती है।

राहुल सिन्हा
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के नेता राहुल सिन्हा के प्रचार करने पर 48 घंटे की रोक लगा दी थी। सीतलकुची में सुरक्षाबलों द्वारा गोली चलाने की घटना पर उनकी टिप्पणी से नाराज चुनाव आयाग ने उन्हें नोटिस जारी किया था। आयोग ने कहा कि ऐसे बयान से राज्य की कानून-व्यव्था बिगड़ती है। राहुल सिन्हा पर आरोप है कि उन्होंने कहा था कि केद्रीय सुरक्षा बल को चार नहीं, आठ लोगों को मारना चाहिए था।

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आयोग ने कही ये बात
चुनाव आयोग के अनुसार उनके बयान बहुत भड़काऊ थे। ये इंसानों के जीवन का मजाक उड़ाते हैं। इसका कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। आयोग के अनुसार इन नेताओें के बयान आदर्श आचार संहिता, जन प्रतिनिधित्व कानून और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के उल्लंघन करनेवाले हैं। आयोग ने राहुल सिन्हा की टिप्पणी पर संज्ञान लेते हुए मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें नोटिस दिए बिना उनके प्रचार पर रोक लगाने का निर्णय लिया था।

सुवेंदु अधिकारी
ममता बनर्जी के बारे में नंदीग्राम के भाजपा उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी द्वारा दिए गए बयान को लेेकर चुनाव आयोग ने चेतावनी जारी की थी। आयोग ने कहा था कि अधिकारी को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। 12 अप्रैल को रात में चुनाव आयोग ने कहा कि आयोग सुवेंदु अधिकारी को चेतावनी देता है कि आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरन वे ऐसे बयान न दें।

दिलीप घोष 
चुनव आयोग ने पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को भी नोटिस जारी किया था। बता दें कि कूचबिहार हिंसा पर दिलीप घोष ने कथित रुप से विवादित बयान दिया था। कार्रवाई से पहले चुनाव आयोग ने सीतलकुची जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति वाले बयान पर घोष को नोटिस जारी किया था।

घोष के बयान
घोष ने कहा था कि सीतलकुची जैसी घटना की पुनरावृत्ति अनेक स्थानों पर होगी। उन्होंने कहा था,यदि कोई अपनी सीमाओं को पार करेगा तो आपने देखा ही है कि सीतलकुची में क्या हुआ। सीतलकुची जैसी घटना कई स्थानों पर होगी। बता दें कि कूचबिहार के सीतलकुची में केंद्रीय बलों ने चार लोगों को मार दिया था। उनके इस बयान की शिकायत आयोग से तृणमूल काग्रेस पार्टी ने की थी।

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