भाजपा में महाभारत, पश्चिम बंगाल के असंतुष्टों ने लगाए गंभीर आरोप

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी सत्ता के आसपास खड़े रहने लायक भी आंकड़े नहीं छू पाई। परंतु, जितनी सीटों पर विजय मिली वह किसी अचंभे से कम भी नहीं है। चुनावों के बाद से पार्टी में आतंरिक विद्रोह फैला है।

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पश्चिम बंगाल भाजपा में तकरार तेज हो गई है। पार्टी के खिलाफ लगातार विद्रोही सुर अपनाने वाले प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार और रितेश तिवारी ने मंगलवार को गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रदेश नेतृत्व पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा है कि वर्तमान नेतृत्व के पास ममता बनर्जी से मुकाबले की ताकत नहीं है। इन दोनों नेताओं को पार्टी ने पहले ही कारण बताओ नोटिस दिया है।

दोनों भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि बंगाल भाजपा नेतृत्व के कुछ नेताओं का तृणमूल से साठगांठ है और कुछ भाजपा नेताओं को ममता बनर्जी के आशीर्वाद से नौकरी मिली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद समीक्षा बैठक में उन लोगों को बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और संगठन महासचिव पर अनुभवहीन होने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय सह प्रभारी अमित मालवीय के खिलाफ बयानबाजी की।

जिन्हें बांग्ला नहीं आती उन्हें जिम्मेदारी
जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि भाजपा ने विधासनभा चुनाव में ऐतिहासिक भूल की थी। चुनाव में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत भाजपा अध्यक्ष से प्रचार नहीं करवाया जाना चाहिए था। चुनाव के दौरान बंगाल में ऐसे नेताओं को दायित्व दिया गया था, जिन्हें बांग्ला भाषा की जानकारी नहीं थी और वे स्थानीय लोगों से हिंदी में बात करते थे। बंगाल में ऐसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी, जिन्हें बंगाल की जानकारी नहीं थी। यह कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में किसी की जरूरत नहीं है। वे लोग जीता देंगे। तृणमूल में शामिल हुए नेताओं को टिकट दिया गया था, जबकि स्थानीय नेता को नजरदांज किया गया था।

जिनकी पब्लिक लाइफ नहीं, उनको दायित्व
रितेश तिवारी ने कहा कि अनुशासन समिति की सिफारिश और राज्य भाजपा अध्यक्ष के निर्देश के बाद कारण बताओ नोटिस दिया गया है। कारण बताओ में बयान की कोई समय सीमा नहीं थी। किस तरह का बयान दिया गया है जो पार्टी विरोधी है। जिन लोगों ने मुंह खोलना शुरू कर दिया है उनको सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। ऐसे नेताओं को दायित्व दिया गया जिनका पब्लिक लाइफ में कोई योगदान नहीं है। कई नेता ममता बनर्जी के आशीर्वाद से नौकरी पा गए हैं। इस तरह के नेता साल 2021 में साजिश शुरू किए थे

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